ST Strike
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    गोंदिया. महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों की लंबे अरसे से हड़ताल शुरू है. लेकिन बांद्रा स्थित कामगार न्यायालय ने निर्णय देकर कर्मचारियों की हड़ताल को गैरकानूनी ठहरा दिया है. इस संबंध में निगम द्वारा दाखिल शिकायत पर कामगार न्यायालय ने निर्णय दिया है. जनोपयोगी सेवा होने के बाद भी 6 सप्ताह पूर्व हड़ताल की. नोटीस नहीं देने की बात न्यायालय ने कही है. ये कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. उनकी प्रमुख मांगों में रापनि को सरकार में विलिन करें. इस मांग के लिए कर्मचारियों में बड़ी एकता दिखाई दी.

    विलिन करने पर कर्मचारी अडिग

    राज्य सरकार ने एसटी कर्मचारियों की वेतन की मांग मान्य की है. जिससे अनेक कर्मचारी काम पर लौट गए. वहीं अब भी अनेक कर्मचारी अपनी मांग पर डटे हुए है. मांग जब तक मान्य नहीं हो जाती तब तक काम पर नही लौटेंगे. ऐसा उनका कहना है. इसी तरह अनेक डिपो में अब भी कर्मचारी काम पर नहीं लौटे हैं. जिसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है. जबकि विलिनीकरण संभव नहीं होने की बात सरकार ने स्पष्ट की है. यह प्रकरण अब भी न्यायालय में शुरू है.

    जनोपयोगी सेवा पर नोटीस ही नहीं

    औद्योगिक विवाद कानून अनुसार जनोपयोगी सेवा होने पर 6 सप्ताह पूर्व हड़ताल की नोटीस देना अनिवार्य है. लेकिन फिलहाल शुरू इस हड़ताल के लिए किसी भी तरह से कानूनी नोटीस नहीं दिया गया था. कामगार न्यायालय में एमआरटीयु एंड पीयुएलपी 1971 कानून की धारा 25 अन्वये संपूर्ण न्यायालयीन प्रक्रिया पूर्ण होकर यह आंदोलन गैर कानूनी होने का निर्णय दिया गया है. इस संदर्भ में अंतिम आदेश पारित किया गया है.

    215 डिपो में काम शुरू

    इस बीच 10 जनवरी को एसटी कामगार संगठन के नेताओं की राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार के साथ बैठक की. इसके बाद कामगार संगठन ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा की थी. अनेक डिपो में कर्मचारी काम पर वापस लौट गए. इसी तरह वर्तमान स्थिति में 250 डिपो में से 215 डिपो शुरू हैं. जिसमें 26 हजार 500 कर्मचारी काम पर उपस्थित हो गए है. 90 हजार में से 3123 कर्मचारी निलंबित किए गए है. 88 हजार कर्मचारी पद पर है. राज्य भर में दिन भर एसटी की 1 हजार फेरियां शुरू है. जिसमें 3 लाख 88 हजार यात्रियों ने यात्रा की है.

    प्रखर कांग्रेस नेता व दलित मित्र विजय बहेकार ने कहा कि संपूर्ण देश भर में कोरोना संक्रमण का दौर शुरू है. कोरोना काल में सभी व्यवस्था ठप पड़ गई थी. इसमें रापनि की बसों का संचालन भी बंद कर दिया गया था. रापनि के पास आय के कोई साधन नही थे, इस कठीन समय में राज्य सरकार ने 500 करोड़ व बाद में 1 हजार करोड़ रु. का पैकेज दिया.

    जिससे एसटी कर्मियों को उनके वेतन का भुगतान किया गया. इसके साथ ही आंदोलन के बीच महाविकास आघाडी शासन ने चालक व परिचालक के वेतन में वृध्दि भी की थी. जिससे कर्मचारियों को अपनी जिद व अहंकार छोड़कर हड़ताल वापस लेनी चाहिए. 

    सुभाषसिंह बैस

    महाराणा प्रताप मेमोरियल संस्था के अध्यक्ष सुभाषसिंह बैस ने कहा कि राज्य परिवहन निगम कर्मचारियों की हड़ताल को दीर्घ अवधि हो गई है. इसके बावजूद शासन व प्रशासन के माध्यम से कोई हल नही निकल सका है. जिससे सामान्य यात्रियों को आवागमन में भारी असुविधा हो रही है. अपनी मांगों के लिए जिद पर अड़े कर्मचारियों ने यात्रियों की भावना का ध्यान रखकर हड़ताल वापस लेनी चाहिए. 

    एसटी सेवा व यात्रियों के बीच उल्लेखनीय सुविधाओं को लेकर दीर्घकाल से एक सशक्त श्रृंखला के रुप में सक्रिय कांग्रेस के पूर्व विधायक स्वरुपचंद जैन के पुत्र नरेश जैन ने कहा कि लंबी अवधि से जारी एसटी कर्मचारियों की हड़ताल से यह तो साबित हो गया है कि उनका संगठन काफी मजबुत है और न्यायोचित मांगों को लेकर आंदोलन करने में कोई बुराई भी नही है और इसलिए हमारी पूरी सहानुभूति आंदोलनकारियों के साथ है.

    लेकिन इसी के साथ दुसरे पहलुओं पर भी गौर करना आवश्यक है. इस लंबे आंदोलन के कारण जिस तरह लोगों ने विशेषत: ग्रामीण परिसर के नागरिकों व विद्यार्थियों को न भुलाई जा सकने वाली त्रासदी भुगतनी पड़ी है वह अपने आपमें काफी गंभीर है. शहरी क्षेत्र के लोगों को विशेष फर्क नही पड़ता लेकिन ग्रामीण परिसर की परेशानियों का शब्दों में विश्लेषण करना संभव नही है. अब एक अच्छा अवसर सामने आया है जब श्रम न्यायालय ने फैसला सुनाया है उसका सम्मान किया जाना चाहिए और हड़ताल तत्काल वापस ले लेनी चाहिए. 

    सामाजिक कार्यकर्ता समीर आरेकर ने कहा कि राज्य में रापनि कर्मचारियों का लंबा आंदोलन शुरू है. जिससे लोगों को निजी वाहनों से अपनी यात्रा करने मजबुर होना पड़ रहा है. इस तरह का आंदोलन करना यह कर्मचारियों के हित में कदापि नही है. जिससे यात्रियों की भावना को प्राथमिकता देकर एसटी के कर्मचारी अपना आंदोलन तत्काल वापस लें तो वह पूरी तरह जनाभिमूखी होगा और समाज के हर वर्ग की सहानुभूति उनसे जुड़ सकेगी. 

    कामगार न्यायालय का हमारे से संबंध नही- शेख

    इस संबंध में महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के हड़ताली चालक सईद शेख ने बताया कि उनका कामगार न्यायालय के दिए आदेश से कोई संबंध नही है. हमारा प्रकरण हायकोर्ट में शुरू है. हमारे 84 सहकर्मियों की मृत्यु हो गई है. जिससे हम दुखी हैं. गोंदिया डिपो के 350 कर्मियों में से 3 कर्मी काम पर लौटे है. जिसमें राजेश चतुर्वेदी, दीपक गवली व प्रकाश पांडे का समावेश है.