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    गोंदिया. धान खरीदी करते समय केंद्र संचालकों द्वारा किसानों का शोषण न हो इसके लिए खाद्यान्न नागरी पूर्ति व ग्राहक संरक्षण विभाग ने धान खरीदी केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय लिया है. इस संबंध में केंद्र संचालकों को विभाग से आदेश दिया गया है. इसमें धान खरीदी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होने की बात आदेश में दर्ज है.

    शासकीय आधारभूत धान खरीदी केंद्रों पर किसानों की लूट यह हमेशा की बात हो गई है. वजन काटे में डंडी मारने केंद्र संचालक, कर्मचारी व मजदूर तरबेज है. जिससे किसानों को उनके बिक्री किए गए धान का उचित दाम नहीं मिलता.  कठिन परिश्रम कर उत्पादित किए धान पर प्रति क्विंटल के पीछे 5 से 6 किलो धान कम दिखाया जाता है.

    केंद्र पर चल रही यह कारगुजारी किसान टकटकी लगाकर देखते रहता है. लेकिन उसकी शिकायत पर कोई हस्तक्षेप नहीं होने से वह कुछ बोलने की हिम्मत नहीं करते है. इसी बीच शासन के खाद्यान्न नागरी आपूर्ति व ग्राहक संरक्षण विभाग ने अब पहल की है उसके अनुसार केंद्रों में किसानों की लूट व शोषण को रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में धान खरीदी केंद्र होंगे. ऐसा निर्णय लिया है. इससे किसानों को निश्चित ही राहत मिलेगी. 

    धान का नुकसान न हो

    इसके लिए पंखे, ताडपत्री, पॉलिथीन, वजनमाप, बारदाना, रस्सी कृउबास के माध्यम से उपलब्ध करा लेने की जिम्मेदारी प्रतिनिधि संस्थाओं की है. इतना ही नहीं प्रत्येक खरीदी केंद्र में सातबारा वाले गांवों के नाम प्रकाशित करने पड़ेंगे. इसमें सर्वसाधारण गुणवत्ता व दर्जेनुसार साधारण धान को प्रति क्विंटल 1940 रु. व अ दर्जे वाले धान को 1960 रु. प्रति क्विंटल दर मिलेगी. बाहर राज्य के धान बिक्री के लिए नहीं आए इस पर रोक लगाने के लिए जिलाधीश को दल तैयार करने होंगे.

    कृउबास को खरीदी की अनुमति दें

    शासन ने प्रतिनिधि संस्थाओं को धान खरीदी करने के अधिकार दिए है. इसी तरह कृउबास को धान खरीदी के अधिकार नहीं दिए है. जबकि धान खरीदी केंद्र के लिए आवश्यक सुविधा कृउबास के पास उपलब्ध है. गोदाम की सुविधा, इलेक्ट्रिक वजन कांटा, कम्प्युटर, मनुष्य बल भी उपलब्ध है. इसलिए शासन से इस मांग को मंजूर कर कृउबास को धान खरीदी करने की अनुमति देने की मांग किसानों ने की है.