
अमलनेर : अमलनेर तहसील के ग्रामीण इलाकों (Rural Areas) में बड़े पैमाने पर वृक्षों (Trees) की अवैध कटाई (Illegal Felling) हो रही है और ऐसा लगता है कि प्रशासन (Administration) ने इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। बताया जा रहा है वन विभाग के अधिकारियों की उपेक्षा के कारण वृक्षों की अवैध कटाई बेरोकटोक हो रही है। कोरोना जैसी भयानक बीमारी फैलने की आशंका के बीच वृक्षों की अवैध कटाई होने का दुर्भाग्य पूर्ण बताया जा रहा है। वृक्षों से मानव को प्राकृतिक ऑक्सीजन मिलती है, इसलिए अधिक से अधिक वृक्षों की आवश्यकता होती है, ऐसा होते हुए भी वृक्षों की अवैध कटाई का सिलसिला जारी है, ऐसे में वन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता यही बता रही है कि वन विभाग के अधिकारियों को वृक्षों की सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है।
केंद्र और राज्य सरकार एक तरफ वृक्ष लगाने की बात कही जाती है। प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने और नागरिकों को स्वच्छ हवा प्रदान करने का स्पष्ट इरादा रखती है, वहीं दूसरी ओर अमलनेर तालुका के ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी तस्करों के गिरोह द्वारा बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जा रही है। सैकड़ों वर्ष पुराने पेड़ों के कटने की तस्वीर कई जगहों पर देखने को मिलती है। दिलचस्प बात यह है कि वन विभाग भी इस गंभीर मामले को नजरअंदाज कर रहा है।
लकड़ी तस्करी में वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत
चित्र में दिख रहा है कि जिस प्रकार के वृक्ष का वध हो रहा है, इससे प्रकृति का काफी हद तक क्षरण हो रहा है और जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। वन विभाग भी इन लकड़ी तस्करों की मदद कर रहा है और कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। संबंधित क्षेत्र से काटे गए पेड़ों की लकड़ी को विभिन्न वाहनों से शहर की ओर मिल में ले जाया जाता है। प्रकृति प्रेमी इस गंभीर मुद्दे पर वरिष्ठ अधिकारियों से ध्यान देने की मांग कर रहे हैं।
सरकार की पहल को समर्थन
सरकार की पहल ‘पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ’ चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि वन विभाग और लकड़ी तस्करों दोनों ने इस पहल का समर्थन किया है। वन संपदा की अवैध और अनधिकृत लूट में वन विभाग के आला अधिकारियों, तस्करों और वनरक्षकों, वन कर्मियों की ओर से क्या कार्रवाई की जा रही है, इस ओर नागरिकों का ध्यान लगा हुआ है।