कृषि कानून पर हो रही राजनीति : सुभाष भामरे

  • किसानों के हित में है कानून

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धुलिया. देश के पूर्व रक्षा राज्यमंत्री तथा यहां के सांसद सुभाष भामरे (Subhash Bhamre)  ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कृषि कानून (Agricultural law)  किसानों के ही हित में है। कृषि सुधार अधिनियम को लागू करने वाला देश का पहला राज्य महाराष्ट्र ही था।

उस समय, राज्य में कांग्रेस और राकांपा सरकारें सत्ता में थीं। कांग्रेस-राकांपा के दौर में हुए सुधार पर अब राष्ट्रीय स्तर पर अमल हो रहा है तो विपक्ष क्यों राजनीति कर रहा है? कांग्रेस पार्टी के 2019 के घोषणापत्र में कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई, तो बाजार समितियों के कानून को निरस्त कर दिया जाएगा और कृषि वस्तुओं में मुक्त व्यापार की व्यवस्था की जाएगी।

 पवार भी एपीएमसी में संशोधन पर दिया था जोर

शरद पवार ने अगस्त 2010 से नवंबर 2011 के बीच सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजकर एपीएमसी अधिनियम में संशोधन पर जोर दिया था। उनका जोर बाजार सुविधा क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने पर था। अगस्त 2010 में शरद पवार द्वारा लिखे गए एक पत्र में, उन्होंने कहा था कि कृषि क्षेत्र के समग्र विकास, रोजगार और आर्थिक विकास के लिए एक अच्छे बाजार की आवश्यकता है। इस प्रश्न की विस्तृत चर्चा शरद पवार की आत्मकथा में भी है। उन्होंने इसमें वही भूमिका निभाई जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पारित कानून करता है।हालांकि डीएमके भारत बंद का समर्थन भी करता है, लेकिन पार्टी ने 2016 के विधानसभा चुनावों में अपने नए घोषणापत्र में कृषि सुधार बिल का वादा किया था।

एपीएमसी बना भ्रष्टाचार का केंद्र

12 दिसंबर 2019 को, अकाली दल ने स्थायी समिति में एक अलग भूमिका निभाई थी।उस समय उन्होंने कहा,एपीएमसी भ्रष्टाचार-राजनीति का एक केंद्र बन गया था। केवल दलाल वहां प्रचलित हैं और इसलिए एपीएमएएसी इन किसानों के हित में नहीं है। शिवसेना, डीएमके, तृणमूल, वामपंथी दलों ने उस समय एक ही भूमिका निभाई। आज सभी दल बहती नदी में हाथ धोने की भूमिका में हैं। भामरे ने कहा कि आज मोदी का विरोध करने के लिए सभी दोहरी भूमिका रहे हैं। जानबूझकर अराजकता पैदा करने के लिए पार्टियों की यह भूमिका है। लेकिन किसान समझदार हैं,वे निश्चित रूप से समझदार की भूमिका निभाएंगे।महाराष्ट्र में, जब हम सत्ता में थे, हमने एक ऐसा कानून बनाया कि किसानों को गारंटी दाम अगर नहीं दिया तो एक साल की सजा का प्रावधान किया गया।

अत्यावश्यक वस्तु कानून रद्द

1955 का अत्यावश्यक वस्तु कानून मोदी सरकार ने रद्द कर दिया। इस कानून के अनुसार खेतमाल का स्टॉक कर रखने तथा निजी निवेश को मर्यादा लगाई है। व्यापारी यह अनाज,फल,सब्जियों पर प्रक्रिया करनेवाले,अनाज,फलों का निर्यात करनेवाले व्यापारियों के स्टॉक को मर्यादित किया गया है। परिणाम स्वरूप खेतमाल स्टॉक व्यवस्था यह सिर्फ सरकारी यंत्रणा के ही कब्जे में रही।

भामरे ने कहा कि सब्जियां, अनाज, फल मौसम के अनुसार कृषि मंडियों में आने लगने से दामों में गिरावट आने लगी। अगर स्टॉक की व्यवस्था बड़े पैमाने पर होती तो किसानों ने मौसमों में आनेवाली सब्जियां, अनाज, फल आदि बारी-बारी से मंडी में लाया होता। ऐसा अगर हो तो दामों में गिरावट नहीं आती। अब इस कानून से स्टोरेज में बड़े पैमाने पर निवेश हो सकता है। किसान अपना माल स्टोर कर रख सकेंगे और बाजार की उपलब्धता देखकर अपना माल मंडी तक पहुंचाएंगे।