रावेर वन विभाग का पौधरोपण कागजों में सिमट कर रह गया

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    रावेर :  रावेर तहसील (Raver Tehsil) में वन विभाग (Forest Department) द्वारा शहरी (Urban) और ग्रामीण (Rural) क्षेत्र में विगत वर्षो में लाखों पौधे (Millions of Saplings) रोपे गए हैं और उन पौधारोपण (Plantation) के लिए तेज गति से गड्ढे भी तैयार किए गए थे लेकिन सवाल यह उठता है कि पौधारोपण के बाद इनमें से कितने पौधे अपना अस्तित्व बचा पाएं है। कितने जीवित है! ऐसी भी आशंका जताई जा रही है कि पौधरोपण अभियान कहीं भ्रष्टाचार (Corruption) की भेंट चढ़कर सिर्फ कागजों (Papers) में सिमटकर तो नहीं रह गया है। 

    रावेर तहसील में विगत वर्षो में वनविभाग द्वारा हुए पौधारोपण अभियान की स्थिति तो यही बयां कर रही है कि इसमें शासकीय धन की काफी बर्बादी हुई है, जबकि मौके से पौधे नदारद हैं। सुरक्षा इंतजामों के बगैर पौधरोपण कार्यक्रम महज औपचारिकता तक ही सीमित दिखाई दे रहा है। देखा जाए तो पौधरोपण तो व्यापक स्तर पर हुए लेकिन पौधों की सुरक्षा के लिए आने वाले बजट का बंदरबांट हो गया ऐसी आशंका जताई जा रही है। इससे अधिकांश पौधे समुचित देखरेख के अभाव में नष्ट हो गए। तो कही पाणी के अभाव से हर साल यही प्रक्रिया परंपरागत रूप से सतत चल रही है। वनविभाग द्वारा पौधारोपण किया जाता है, अधिकारी फोटो खिंचवाते हैं, प्रकाशित करवा के वाहवाही लूटते हैं लेकिन फिर बाद में इन पौधों के रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है, जिससे पौधारोपण का औचित्य सार्थक सिद्ध नहीं हो पा रहा है। पौधरोपण के नाम पर होने वाली खानापूर्ति में बस सरकारी धन का दुरुपयोग ही हो रहा है।

    सेटेलाइट से होनी थी मॉनिटरिंग

    गतवर्षो में रावेर तहसील में लाखों पौधे लगाने का काम पूरा किया था और इस उपलब्धि ने रावेर तहसील में बहुत वाहवाही लुटी थी। वन अधिकारियों ने बडे़ बडे़ दावे कर पौधो को सुरक्षा और संरक्षण देने की बात कही थी। इसी अभियान के तहत तहसील के शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र, देहात, कसबो, बस्तीया, पाढे, तांडे, पहाडी क्षेत्र में पौधों का रोपण किया गया था, लेकिन मौके पर देखा जाए तो वहां पौधे नहीं हैं, जबकि अभियान के तहत हुए पौधारोपण के बाद इनकी सेटेलाइट के जरिए मॉनिटरिंग होनी थी, लेकिन फिर भी यह अभियान कागजों में ही सिमटकर रह गया और जिम्मेदार अधिकारियों के दावे हवा हवाई ही साबित हुए हैं।

    करोड़ों का बजट खर्च, पौधों का कहीं पता नहीं

    पौधारोपण कार्यक्रम के तहत यदि पुराने आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो करोड़ों रुपये इस पर खर्च हुए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि पौधों का कोई अता पता नहीं है। तहसील में वनविभाग ने रेंज, पहाडी क्षेत्र के अंतर्गत तहसील के ग्रामपंचायत से लेकर अनेक स्थानों पर गतवर्षो में पौधारोपण पर करोड़ों रुपये खर्च किए है। रावेर वन विभाग द्वारा पौधेरोपन हुवे मगर यह पौधे जीवित कितने है पौधे कहां हैं,यह किसी को पता नहीं है। इस की जाच होनी चाहीए इसी मांग पर्यावरण प्रेमियो ने की है।