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    मुंबई. जहाँ एक तरह महाराष्ट्र (Maharashtra) कोरोना के बढ़ते संक्रमण से हैरान-परेशान है। वहीं अब एंटीलिया केस और मनसुख हिरन मौत मामले में घिरी महाराष्ट्र की उद्धव सरकार (Udhhav Thackrey) एक बार मुश्किलों के दौर से गुजर रही है। जहाँ इस मामले में पूर्व पुलिस कमिश्नर के गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Desmukh) पर लगाये गए कथित वसूली के आरोप से महा विकास अघाड़ी सरकार में फिलहाल अंदरूनी खटपट भी अब तेज हो गई है। वहीं अब यह खटपट शिवसेना के मुखपत्र सामना के पन्नों में भी संजय राउत (Sanjay Raut) के कलम द्वारा दिखने लगी है। आज सामना में संजय राउत ने देशमुख को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों से इस तरह जबरदस्ती कोई पंगा नहीं लेना चाहिए था।

    आज सामना में संजय राउत ने लिखा कि, ” राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से बेवजह ही पंगा ले लिया। हमारे गृहमंत्री को कम से कम बोलना चाहिए था। बेवजह कैमरे के सामने जाना और इस तरह जांच का आदेश जारी करना कतई ठीक नहीं है। सौ सुनार की एक लोहार की ऐसा बेहतरीन बर्ताव हमारे गृहमंत्री का होना चाहिए था। पुलिस विभाग का नेतृत्व सिर्फ सैल्यूट लेने के लिए ही नहीं होता है। वह इसके साथ एक बेजोड़ और प्रखर नेतृत्व देने के लिए भी होता है। प्रखरता ईमानदारी से ही मिलती है, ये आप कैसे भूल सकते हैं ?”

    किसके कहने से ‘सचिन वाजे’ को मिले इतने असीमित अधिकार: 

    इतना ही नहीं आज संजय राउत ने सचिन वाजे  की नियुक्ति पर भी सवाल उठाते हुए आगे लिखा कि, “पुलिस आयुक्त, गृहमंत्री, मंडिमंडल के प्रमुख लोगों का दुलारा और विश्वासपात्र रहा सचिन वाजे महज एक सहायक पुलिस निरीक्षक ही तो था। उसे मुंबई पुलिस में इस तरह असीमित अधिकार किसके आदेश पर दिया यह सच में एक जांच का विषय है। वाजे जहाँ मुंबई पुलिस आयुक्तालय में बैठकर बड़ी बड़ी वसूली कर रहा था और गृहमंत्री को इस बारे में जानकारी नहीं होगी, ये तो ताज्जुब की बात है?”

    पाटील के इनकार से देशमुख बने गृहमंत्री: 

    इतना ही नहीं राउत ने आगे यह भी लिखा कि, “अनिल देशमुख को गृहमंत्री का पद महज दुर्घटनावश मिला है। इनके पहले जयंत पाटील, दिलीप वलसे-पाटील ने पद स्वीकारने से साफ़ मना कर दिया था। वैसे भी इस पद की एक अलग गरिमा और रुतबा है। इसके साथ एक खौफ भी है। वहीं आर।आर पाटील की गृहमंत्री के रूप में कार्य पद्धति की तुलना आज भी लोगों द्वारा की जाती है। लेकिन यहाँ एक संदिग्ध व्यक्ति के घेरे में रहकर राज्य के गृहमंत्री पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति काम नहीं कर सकता है।”

    कांग्रेस पहले से ही राउत के बयान से खफा:

    गौरतलब है कि एंटीलिया प्रकरण के चलते महाराष्ट्र सरकार के दो दल शिवसेना और NCP में भारी टकराव की स्थिति बन चुकी है। वहीं इससे पहले भी कांग्रेस और शिवसेना के बीच भी भयंकर नाराजगी भी सामने आ चुकी है। गौरतलब है कि पिछले दिनों संजय राउत ने UPA को लकवाग्रस्त बताते हुए शरद पवार जैसे गैर कांग्रेसी को गठबंधन का प्रमुख बनाया गया ऐसा कहा। वहीं इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए और पलटवार करते हुए कहा था कि शिवसेना को यह नहीं भूलना चाहिए कि राज्य महा विकास अघाड़ी सरकार केवल कांग्रेस के समर्थन से ही बनी है। यही नहीं इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने स्वयं CM उद्धव ठाकरे से शिकायत की है।