नई दिल्ली/रायगढ़. जहां भारी बारिश और लैंडस्लाइड के चलते महाराष्ट्र (Maharashtra) के रायगढ़ (Raigad) के इर्शालवाड़ी (Irshalwadi) गांव में बीते बुधवार देर रात चट्टान खिसकने से 48 घर तबाह हो गए थे। हादसे में शुक्रवार शाम तक 22 लोगों की मौत हुई, जबकि 93 लोगों का रेस्क्यू किया गया। वहीं अब 86 लोग अभी भी मलबे में दबे हैं या फिर लापता हैं। वहीं मृतकों में नौ पुरुष, इतनी ही महिलाएं और चार बच्चे शामिल हैं। बीते बुधवार रात हुई इस आपदा में एक ही परिवार के नौ सदस्यों की मौत हो गई थी ।
इलाके में बारिश होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया। वहीं आज सुबह 6.30 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू किया गया है। वहीं NDRF ने बताया कि, बल की चार टीमें कैनाइन दस्ते और उन्नत उपकरणों के साथ घटना स्थल पर पहुंचीं और राज्य प्रशासन, पुलिस और टीडीआरएफ के समन्वय में बचाव अभियान चलाया जा रहा है।
#WATCH Maharashtra: NDRF continues search & rescue operation at Raigad Irshalgad landslide-hit area.
So far, 22 dead bodies have been recovered from the site. pic.twitter.com/eaQlytfvsi
— ANI (@ANI) July 22, 2023
जानकारी दें कि, इससे पहले, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हादसे की जगह पर पहुंचे थे। उन्होंने यहां के हालात का जायजा लिया था। उन्होंने कहा था कि, इस जगह पर आना बेहद कठिन है और लगातार बारिश भी हो रही है।इसके बावजूद राहत कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश की जा रही है।
मामले पर रायगढ़ जिला आपदा प्रबंधन कार्यालय के अनुसार, गांव के 229 निवासियों में से 22 की मृत्यु हो गई है, दस घायल हुए हैं, 111 को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और 86 व्यक्तियों का अभी तक लापता हैं। हालांकि, उनमें से कुछ लोग एक शादी में शामिल होने के लिए गांव से बाहर गए हैं, जबकि कुछ घटना के समय धान की रोपाई के काम से बाहर हैं।
इसी बीच बीते शुक्रवार को महाराष्ट्र के नासिक में पहाड़ियों पर स्थित कावनई किले का एक हिस्सा बारिश के चलते ढह गया, हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। वहीं प्रशासन ने कावनई गांव में किले के आसपास रह रहे लोगों से सुरक्षित स्थानों पर चले जाने को कहा है।
बताते चलें कि, बीते 19 जुलाई की रात करीब साढ़े 10 बजे मुंबई से लगभग 80 किमी दूर तटीय रायगढ़ जिले की खालापुर तहसील में एक पहाड़ी पर स्थित आदिवासी गांव में भूस्खलन हुआ। गांव के 48 में से कम से कम 17 घर पूरी तरह या आंशिक रूप से मलबे में दब गए थे।