Devendra Fadnavis

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मुंबई: मुंबई महानगरपालिका (BMC) में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने का खुलासा कैग की रिपोर्ट (CAG Report) से हुआ है। यह घोटाला 10 हजार करोड़ से अधिक भी हो सकता है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis ) ने कैग रिपोर्ट का कुछ अंश पढ़ते हुए बताया कि बीएमसी के कामकाज में पारदर्शिता का आभाव और भ्रष्टाचार सामने आया है। भ्रष्टाचार की जांच योग्य एजेंसी से कराने पर विचार किया जा रहा हैं। 

कोरोना के समय बीएमसी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। विधान मंडल के मानसून अधिवेशन में यह मुद्दा जोर-शोर से उठा था और सरकार ने कैग से आडिट कराने का निर्णय लिया था। कैग ने जांच कर अपनी प्राथमिक रिपोर्ट दी है। जिसे उपमुख्यमंत्री ने शनिवार को विधानसभा में पेश किया। बीजेपी विधायक अमित साटम ने रिपोर्ट के मुद्दे सदन में पढ़ कर सुनाने  का अनुरोध उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से किया। विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति पर देवेंद्र फडणवीस ने रिपोर्ट के मुख्य विंदुओं को पढ़ कर सुनाया। जिसमें स्पष्ट रुप से कहा गया है कि बीएमसी में भ्रष्टाचार हुआ है। 

इतने समय का ही हुआ है ऑडिट

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सदन की भावना को देखते हुए रिपोर्ट का मुख्य अंश पढ़ रहा हूं, क्योंकि कैग की रिपोर्ट पर मंत्रियों का चर्चा करना नियम में नहीं है। कैग ने केवल 9 विभागों में 12 हजार करोड़ रुपए के काम का आडिट किया है। कोविड काल के कामों का आडिट नहीं किया गया है। वह मुद्दा विचाराधीन है। 28 नवंबर 2019 से नवंबर 2022 तक के कालावधि के कामों का ही आडिट हुआ है। कैग की आडिट में यह साफ हुआ है महानगरपालिका के केवल दो विभागों में लगभग 214 करोड़ रुपए के 20 काम वगैर टेंडर के दिए गए, जबकि 4 हजार 755 रुपए का काम तो दिया गया, लेकिन उसके लिए ठेकेदार और बीएमसी के बीच करार ही नहीं हुआ। जिसकी वजह से किसी तरह की कार्रवाई का अधिकार महानगरपालिका के पास बचा ही नहीं। इसी तरह 3 हजार 357 करोड़ रुपए का 13 काम किया गया। इसके लिए महानगरपालिका ने थर्ड पार्टी ऑडिटर नियुक्त नहीं किया। इसलिए काम कैसा हुआ इसकी जांच की यंत्रणा ही उपलब्ध नहीं हैं।

 कैग ने टिप्पणी में कहा- पारदर्शिता का आभाव है और लापरवाही हुई 

 कैग ने टिप्पणी में कहा है कि पारदर्शिता का आभाव है और लापरवाही हुई है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि दहिसर में 32 हजार 394 वर्ग मीटर की जमीन खेल के मैदान ,उद्यान मॅटर्निटी होम के लिए आरक्षित थी। वर्ष 2011 में महानगरपालिका ने अधिग्रहण का प्रस्ताव मंजूर किया था। जमीन की अंतिम कीमत 349 करोड़ रुपए तय की गयी। यह मूल प्रस्ताव के समय से 716 प्रतिशत अधिक है। जमीन अधिग्रहण के लिए पैसे तो दिए, लेकिन उस जमीन पर अतिक्रमण है। पुनर्वसन पर 80 करोड़ का खर्च है।  

27 करोड़ रुपए का फायदा ठेकेदार को दिया गया

उप मुख्यमंत्री फडणवीस ने बताया कि पुल विभाग की तरफ से डॉई मोजेस रोड और केशवराव खाडे मार्ग पर मान्यता नहीं होने के बावजूद काम दिया गया। 27 करोड़ रुपए का फायदा ठेकेदार को दिया गया। अब तक पुल का 50 प्रतिशत काम पूरा होना चाहिए थी, लेकिन अभी तक 10 प्रतिशत का भी काम नहीं हुआ है। 54 करोड़ रुपए का काम बगैर निविदा के पुराने कामों के जोड़ कर दिया गया। जुलाई में चार काम अलग-अलग ठेकेदारों को देना था, लेकिन सभी काम एक ही ठेकेदार को सौंप दिया गया। मालाड पंपिंग स्टेशन में 464 करोड़ रुपए का काम अपात्र निविदाकार को दिया गया।