Prakash Surve, Pratap Sarnaik, Deepak Kesarkar

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    मुंबई: शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट में एक तिहाई विधायक ऐसे हैं जिनका बाल ठाकरे के हिंदुत्व (Hindutva) और शिवसेना (Shiv Sena) से कोई लेना-देना नहीं रहा है। करीब 15 विधायक (MLAs) ऐसे हैं जिनकी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस (Congress), एनसीपी (NCP) या अन्य दलों के साथ हुई और बाद में शिवसेना के टिकट पर विधानसभा पहुंचे है।

    मुंबई के मागाठणे विधानसभा क्षेत्र से विधायक प्रकाश सुर्वे एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं और बाद में शिवसेना में शामिल होने के बाद विधायक निर्वाचित हुए हैं। इसी तरह प्रताप सरनाईक मुख्य रूप से एनसीपी के नेता रहे है, लेकिन विधायक शिवसेना के टिकट पर चुने गए। इसी तरह अन्य बागी विधायकों में एनसीपी से आए उदय सावंत, दीपक केसरकर, संजय गायकवाड़, महेंद्र दलवी और अनिल बाबर शामिल हैं। शिंदे गुट के महेंद्र थोरवे, अब्दुल सत्तार पहले कांग्रेस में थे। अब्दुल सत्तार पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की सरकार में मंत्री थे, लेकिन अब वे हिंदुत्व के लिए एकनाथ शिंदे गुट के साथ गुवाहाटी में डेरा जमाए हुए हैं। प्रदीप जायसवाल पहले शिवसेना से विधायक रह चुके हैं। वर्ष 2019 के चुनाव में इनकी सीट समझौते में बीजेपी में खाते में चली गई थी। जायसवाल ने निर्दलीय लड़ा और विधायक बने। 

    चिंतामणि पाटिल भी अन्य दल में रहते हुए बाद में शिवसेना में आए 

    चिंतामणि पाटिल भी अन्य दल में रहते हुए बाद में शिवसेना में आए और विधायक बने। पालघर जिले से विधायक श्रीनिवास वनगा भी पुराने बीजेपी परिवार से हैं, इनके पिता चिंतामन वनगा बीजेपी से 4 बार सांसद चुने गए। पिछले चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज होकर शिवसेना में चले गए थे। अब वे बगावत कर घर वापसी की ओर हैं।