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    मुंबई: मुंबई की दूसरी लाइफ लाइन (Mumbai’s Second Lifeline)  के रुप में प्रसिद्ध बेस्ट परिवहन के एक निर्णय से बसों में सफर करने वाले यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। एक महीने में तीन सीएनजी बसों ( BEST CNG ) में आग (Fire) लगने के कारण बेस्ट ने मातेश्वरी ग्रुप को चलाने के लिए ठेके पर ली गई 400 बसों को सड़क से हटाने का निर्णय लिया था। एक साथ 400 बसों को सेवा से हटाने पर बेस्ट की सेवा ही चरमरा गई है।

    बेस्ट प्रशासन का कहना है कि उसने हटाई गई बसों की जगह 289 बसों का संचालन शुरु किया है। इसके बाद भी यात्रियों की समस्या कम नहीं हो रही है। बेस्ट स्टाप पर सुबह से ही लंबी कतारें देखी गई। मुंबई में घटते बेस्ट यात्रियों को वापस अपनी तरफ खींचने के लिए बेस्ट प्रशासन ने दो वर्ष पहले नई इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के साथ ही किराए पर बसों को चलाने का ठेका दिया था। 

    एसी मिडी बसों को यात्रियों का बेहतर प्रतिसाद भी मिला

    प्वाइंट टू प्वाइंट चलने वाली एसी मिडी बसों को यात्रियों का बेहतर प्रतिसाद भी मिला, लेकिन लगातार ठेकेदार की लापरवाही और ड्राइवरों की हड़ताल के कारण बेस्ट ने एम पी ग्रुप की 275 बसों को सड़क से हटा लिया था। मिडी बसों की जगह बड़ी बसें चलाई जा रही हैं उसके बाद भी बेस्ट की सेवा चरमरा गई है।

    मातेश्वरी ग्रुप की 400 बसों हटाया

    बेस्ट ने पहले एम पी ग्रुप की 275 बसों का संचालन बंद कर दिया और अब आग लगने के कारण मातेश्वरी ग्रुप की 400 बसों को सड़कों से हटा लिया। उसकी जगह पर 289 बसों को चलाया जा रहा हैं, लेकिन जिन बसों को 400 बसों की जगह लगाया गया है वह दूसरे रुट से कम कर यहां चलाई जा रही हैं। इससे पूरे मुंबई में बेस्ट बसों की सेवा पर असर पड़ा हैं।  मातेश्वरी ग्रुप ने अपने बस चला रहे ड्राइवरों को दो दिन छुट्टी पर भेज दिया है। ग्रुप का कहना है कि इस दो दिन में बसों की जांच की जाएगी, लेकिन बसों में होने वाली तकनीकी खराबी की जांच दो दिन में पूरी कर ली जाएगी इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं।

    जांच के लिए लखनऊ से आई टाटा मोटर्स की टीम

    सुरक्षा मानकों और सुरक्षा मानदंडों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए इन सभी बसों का फिर से निरीक्षण करने के लिए टाटा मोटर्स की इंजीनियरिंग टीम लखनऊ से आई है, लेकिन इसके बाद भी बसें नहीं चलने पर मातेश्वरी में काम रहे कर्मचारियों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ सकता हैं। मातेश्वरी के 750 संविदा कर्मचारियों पर अब भी नौकरी की तलवार लटकी हुई हैं।

    अनुबंध प्रयोग रहा विफल

    बेस्ट समिति के पूर्व सदस्य ने कहा कि बेस्ट अपनी बसों को ज्यादातर लीज पर लेकर चलाने में लगा है, लेकिन लीज केवल एक प्रयोग बन कर रह गया। अब तक अनुबंध पर बसों के संचालन का प्रयोग असफल रहा है।  बेस्ट को अपनी बसें खरीद कर चलाना चाहिए। ठेके के भरोसे यात्रियों की परेशानी दूर नहीं की जा सकती है।