SSC-HSC के विकलांग छात्रों को बड़ी सौगात, प्रिंसिपल कर सकेंगे रियायतों की सिफारिश

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    मुंबई : एसएससी (SSC) और एचएससी (HSC) परीक्षा (Exam) के लिए बैठने वाले विकलांग बच्चों (Disabled Children) के लिए रियायतें (Concessions) चाहने वाले माता-पिता को सरकार (Govt.) ने बड़ी राहत दी है। अब संबंधित विकलांग छात्र के स्कूल और कॉलेज प्रिंसिपल उनके लिए रियाताओं की सिफारिश सरकार से कर सकेंगे। ये रियायतें अलग-अलग श्रेणी के अनुसार दिए जाएंगे। विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के अनुसार, महाराष्ट्र विकलांगता की 21 श्रेणियों को मान्यता देता है। अब तक राज्य बोर्ड, छात्रों को पांच श्रेणियां जैसे नेत्रहीन, बधिर, गूंगा, विकलांग/स्पास्टिक और सीखने की अक्षमता के तहत निर्धारित फॉर्म भरने की अनुमति देता है। इसके लिए उन्हें एक सरकारी डॉक्टर द्वारा हस्ताक्षरित फॉर्म भरकर बोर्ड एग्जाम समिति में जमा करना होता है। इसके बाद वें अपनी रियायतें पा सकते हैं जिसके लिए छात्र की 75 प्रतिशत उपस्थिति भी अनिवार्य है। 

    ये दस्तावेज हैं अनिवार्य

    पिछले महीने, राज्य बोर्ड ने प्राचार्यों को ऐसे विकलांग छात्रों के लिए प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया था जिन्हें बोर्ड परीक्षा के दौरान रियायत की आवश्यकता थी। आवेदन करने के लिए प्राचार्य द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव पत्र और स्कूल स्टैम्प के साथ चिकित्सा दस्तावेजों को जोड़ना होगा जिससे ये साबित हो सके कि संबंधित छात्र विकलांग है और उसे कन्सेशन की जरूरत है। 

    प्रधानाचार्यों ने जताई खुशी

    अंधेरी स्थित एक स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि दृष्टी और सुनने से संबंधित विकलांग छात्रों के लिए कन्सेशन पाने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। उन्होंने कहा, ‘मेरे पास एक ऐसी छात्रा है जो जिसे केवल 25 प्रतिशत सुनाई देता है। उसके लिए परीक्षा रियायत प्राप्त करना अब तक कठिन रहा है। हम अपने छात्रों और उनकी जरूरतों को जानते हैं। हमें विकलांगता रियायतों की सिफारिश करने की अनुमति देकर, बोर्ड ने छात्रों के लिए इसे आसान बना दिया है।’

    छात्रों को मिलेगा फायदा

    2018 में, राज्य ने परीक्षा के दौरान रियायतों का लाभ उठाने के लिए एचआईवी, बाल कैंसर सर्वाइवर, मेंटेनेंस पर रह रहे कैंसर सर्वाइवर बच्चे, मधुमेह और न्यूरोलॉजिकल विल्सन रोग से पीड़ित बच्चों को अनुमति दी थी। लेकिन प्राचार्यों ने कहा कि जटिल कागजी कार्रवाई छात्रों के चलते बच्चे अक्सर इस छुट से वंचित रह जाते थे। प्रिंसिपल ने कहा कि विकलांग छात्रों के लिए पहचान पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया कक्षा 8 से शुरू होती है, लेकिन कई बार माता-पिता और उनके शिक्षकों को बच्चों विकलांगता की पहचान देरी से होती है। 

    उठाया जा सकता है फायदा!

    विकलांग व्यक्तियों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को डर है कि इस तरह के कदम से स्कूल पढ़ाई में कमजोर छात्रों के लिए रियायतें मांग सकते हैं। एक कार्यकर्ता ने कहा, ‘रियायत के लिए अधिकतम अनुरोध, लर्निंग डिसेबिलिटी (सीखने की अक्षमता) के नाम पर आते हैं। स्कूल कमजोर छात्रों को इस श्रेणी में वर्गीकृत करके रियायतें मांग सकते हैं।’