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फ़ाइल फोटो

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मुंबई: राज्य में बीएमसी (BMC) सहित अन्य बड़े नगर निगमों के चुनाव अगले साल तक टलने की संभावना जताई जा रही है। देश की सबसे धनी मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) पर कब्जे की आस लगाए बैठी बीजेपी (BJP) के लिए फिलहाल अच्छे राजनीतिक संकेत नहीं हैं। चर्चा है कि महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे के प्रति जनता में सहानुभूति बढ़ी है, वहीं कर्नाटक चुनाव परिणाम (Karnataka Election Results) का असर भी महाराष्ट्र (Maharashtra) पर पड़ने वाला है। दोनों प्रमुख कारणों की वजह से शिंदे-फडणवीस सरकार (Shinde-Fadnavis Govt.) राज्य में लंबित बीएमसी सहित अन्य स्थानीय निकायों के चुनाव  फ़िलहाल टालने के मूड में नजर आ रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत से न सिर्फ कांग्रेस बल्कि आघाड़ी के कार्यकर्ताओं को बूस्टर मिल गया है। बीएमसी चुनाव में यदि उद्धव ठाकरे को कांग्रेस और एनसीपी का साथ मिल गया तो बीजेपी के लिए बीएमसी का किला फतह करना मुश्किल हो जाएगा। वैसे भी बीएमसी में उद्धव ठाकरे की ताकत ज्यादा कम नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनके प्रति सहानुभूति की लहर भी दिखाई दे रही है। इसको लेकर शिंदे-फडणवीस सरकार में चिंता बढ़ गई है।

कई कारणों से चुनाव में देरी  

इसके पहले कोविड-संबंधी लॉकडाउन की पाबंदियों के कारण शुरू में कई नगर निगम के चुनाव टाले गए। उसके बाद ओबीसी कोटे पर सुप्रीम कोर्ट में केस शुरू हुआ। बीएमसी चुनाव को लेकर और देरी हुई क्योंकि एमवीए सरकार ने वार्डों की संख्या 227 से बढ़ाकर 236 कर दी। अब भी हाईकोर्ट के आदेश के बाद वार्डों की संख्या पर फैसला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। बीएमसी समेत राज्य के 23 नगर निगमों और 26 जिला परिषदों के चुनाव में देरी हुई है। कुल मिलाकर बीएमसी के अलावा अन्य स्थानीय निकायों के चुनाव से जुड़े ओबीसी आरक्षण को लेकर करीब एक दर्जन याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।  

सहानुभूति की लहर थमने का इंतजार

चर्चा है कि शिंदे-फडणवीस सरकार उद्धव ठाकरे के प्रति सहानुभूति की लहर कम होने के साथ महाविकास आघाड़ी की मजबूती में दरार आने का इंतजार कर रही है। वैसे अब बीएमसी सहित अन्य नगर निगम के चुनाव को मानसून के बाद अक्टूबर तक तो टाला जा सकता हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि बीएमसी चुनाव अब अगले साल की शुरुआत में हो सकते हैं।

करना होगा इंतजार

फिलहाल राज्य में माहौल सरकार के पक्ष में नजर नहीं आ रहा है। बीजेपी के ही कुछ पदाधिकारियों का मानना है कि बीएमसी के चुनाव जल्द हुए तो भारी नुकसान हो सकता है, इसलिए सरकार के पास स्थानीय निकायों के चुनाव स्थगित करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। अगर अभी चुनाव होते हैं तो सरकार को बड़ा झटका लग सकता है। बीएमसी, टीएमसी सहित कई बड़ी महानगरपालिका मार्च 2022 से प्रशासक के अधीन चल रही है। इन महानगरपालिका पर सरकार का सीधा नियंत्रण है।