बीएमसी कर रही है पक्षपात ! सिर्फ बीजेपी और शिंदे गुट के विधायकों को जारी हुआ फंड

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BMC MLAs fund Distribution: मुंबई में करीब 2 साल से बीएमसी (BMC) का चुनाव लंबित है और ऐसे में नगरसेवक शहर में जो विकास कार्य अपने क्षेत्र में किया करते थे वह पूरी तरह से रुका हुआ है। इसलिए बीएमसी ने मुंबई के विधायकों (MLAs) को विकास कार्यों के लिए 500 करोड़ का फंड (Fund) जारी (Distribute) किया है। लेकिन ताजा रिपोर्ट में बीएमसी पर पक्षपात का आरोप लगा है। बीएमसी पर आरोप है कि बीएमसी ने सिर्फ बीजेपी और शिंदे गुट के विधायकों को ही फंड जारी किया। जबकि विपक्ष के विधायकों को आवेदन के बावजूद फंड नहीं मिला है। 

BMC accused of bias

अंग्रेजी दैनिक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक बीएमसी ने मुंबई में विकास कार्यों के लिए विधायकों को 500 करोड रुपए का फंड जारी किया है। लेकिन बीएमसी ने यह फंड सिर्फ सत्ता से जुड़े विधायकों को ही दिया है। जबकि विपक्ष के विधायकों को आवेदन के बावजूद फंड नहीं मिला। 

सत्ता से जुड़े विधायकों को मिला 500 करोड़ का फंड 
बीजेपी के विधायकों की तरफ से 462 करोड रुपए मांगे गए थे उन्हें करीब 374 करोड रुपए फंड के जरिए आवंटित किए गए हैं। वहीं एकनाथ शिंदे की शिवसेना गुट के विधायकों की तरफ से 191 करोड रुपए की मांग की गई थी और उन्हें 126 करोड रुपए आवंटित किए गए। कुल मिलाकर बीएमसी ने सत्ता से जुड़े 21 विधायकों को फंड जारी किया है और यह फंड करीब 500 करोड रुपए का है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि शिवसेना यूबीटी के विधायकों ने 84 करोड रुपए के फंड की मांग की थी। कांग्रेस के विधायकों ने 26 करोड रुपए के फंड की मांग की थी और सपा के विधायक ने 25 करोड रुपए के फंड की मांग मुंबई के विकास कार्यों के लिए की थी, लेकिन मुंबई महानगरपालिका की तरफ से इन विधायकों को फंड मुहैया नहीं कराया गया। 

विपक्ष के विधायकों को फंड का इंतज़ार  
मुंबई में कुल 36 विधायक हैं, बीजेपी के 16 विधायक, एकनाथ शिंदे के शिवसेना के पांच विधायक, (खबर के मुताबिक सिर्फ इन्हीं 21 विधायकों को 500 करोड रुपए का फंड आवंटित किया गया है) वहीं दूसरी तरफ मुंबई में कांग्रेस के चार विधायक हैं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना के पास नौ विधायक हैं। एनसीपी और सपा के पास क्रमशः एक एक विधायक हैं। खबर के मुताबिक इन 15 विधायकों को अब भी फंड का इंतजार है। 

विकास कार्यों के लिए विधायकों को क्यों मिल रहा है फंड 
मुंबई के विकास कार्यों की जिम्मेदारी मुंबई के नगर सेवकों के पास होती है और इन्हीं नगर सेवकों को बीएमसी के द्वारा फंड मिलता है। बीएमसी इससे पहले विधायकों के लिए फंड कभी भी जारी नहीं करती थी, लेकिन पिछले 2 साल से मुंबई में मुंबई महानगरपालिका का चुनाव लंबित पड़ा हुआ है। ऐसे में मुंबई का विकास कार्य रुका हुआ है और इसीलिए बीएमसी ने एक नई नीति बनाई, जिसके तहत मुंबई के विकास कार्यों को जारी रखने के लिए विधायकों को फंड दिए जाने का प्रावधान बनाया गया। इस प्रावधान के तहत मुंबई के पालक मंत्री जिन विधायकों की फंड की मांग पर अपनी रजामंदी दे देंगे बीएमसी उन्हें फंड जारी कर देती है। खबर के मुताबिक बीएमसी एक विधायक हो 35 करोड रुपए तक का फंड दे सकती है। 

पालकमंत्री और बीएमसी की मिलीभगत 
मुंबई के दो पालक मंत्री हैं मंगल प्रभात लोढ़ा और दीपक केसारकर, वहीं विपक्ष पालक मंत्रियों पर यह आरोप लगा रहा है कि उन्होंने जानबूझकर विपक्ष के विधायकों के फंड का आवेदन स्वीकार नहीं किया। विपक्ष के इस आरोप पर मंगल प्रभात का यह कहना है कि उन्हें विपक्ष के विधायकों की तरफ से फंड के लिए आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। विपक्ष का यह भी आरोप है कि पालक मंत्री और बीएमसी के मिलीभगत से विपक्ष की विधायकों के साथ पक्षपात किया जा रहा है। उन्हें मुंबई में होने वाले विकास कार्यों को करने से रोका जा रहा है। 

फायदा उन्हें चुनाव में मिलेगा
वरिष्ठ पत्रकार संजय मिश्रा ने इस विषय पर नवभारत डिजिटल को बताया, भले ही मुंबई विधायकों के जारी हुए फंड में पक्षपात की बात पालमंत्री और बीएमसी के अधिकारी नकार रहे हैं, लेकिन रिपोर्ट में जो दिख रहा है वो यही है कि विपक्ष के आवेदन को नज़रअंदाज किया गया है। जब विपक्ष के विधायकों को फंड ही नहीं मिलेगा तो उनके क्षेत्र में विकास कार्य रुका रहेगा और इसका खामियाज़ा उन्हें चुनाव में भुगतना पड़ेगा। सत्तारूढ़ विधायकों को फंड मिल चुका है। उनके क्षेत्र में विकास कार्य होगा जिसका फायदा उन्हें चुनाव में मिलेगा। इसे आप सत्ता की रणनीति भी कह सकते हैं।