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महाराष्ट्र मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

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मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) में एक बार फिर घमासान मचा हुआ है। सत्ता की सियासत में सभी दलों के विधायक अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंता में हैं। अजित पवार (Ajit Pawar) और उनके आठ मंत्रियों को सरकार में स्थान देने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) इस समय भारी दबाव में हैं। सूत्रों के अनुसार, एक साल पहले शिवसेना छोड़ सीएम एकनाथ शिंदे के साथ बगावत करने वाले 40 विधायकों में से 15 विधायक उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के पास लौटने पर उतारू हैं। बदली हुई परिस्थिति में मुख्यमंत्री अपने साथियों को एकजुट रखने और उन्हें समझाने में लगे हुए हैं। बुधवार को सीएम अपना सारा कार्यक्रम रद्द कर पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक करते रहे। 

उल्लेखनीय है कि नागपुर में राष्ट्रपति का कार्यक्रम बीच में ही छोड़ सीएम शिंदे मंगलवार की शाम मुंबई लौट आए। सीएम ने देर रात अपने मंत्री दीपक केसरकर के बंगले रामटेक पर प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की। बताया गया कि इस बैठक में नाराजगी के सूर तेजी से उठे हैं। मुख्यमंत्री के इन साथियों को लग रहा है कि बदले हुए अप्रत्याशित राजनीतिक समीकरण में उन्हें कोई फायदा नहीं मिलने वाला हैं।

सिर्फ सीएम को था पता

बुधवार को सुबह भी कोर कमिटी की बैठक में नेताओं ने सवाल उठाया कि अजित पवार के सरकार में शामिल होने की जानकारी सीएम को थी, परंतु पार्टी के प्रमुख लोगों को भी इसकी भनक नहीं लगने दी गई। गौरतलब है कि अजित पवार के सरकार में शामिल होने के पहले बीती रात में मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच चर्चा हुई थी। उस समय सीएम शिंदे के साथियों को लगा कि उनके मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा हो रही है, परंतु दूसरे दिन राजभवन में एनसीपी के नेता अजित पवार और उनके आठ विधायकों को शपथ दिला दी गई। इसका पता सीएम शिंदे को छोड़ उनके किसी नेता को नहीं था। 

सीएम शिंदे ने विधायकों और सांसदों की आपात बैठक बुलाई

उसके बाद वरिष्ठ मंत्री शंभूराज देसाई और संजय शिरसाट के अलग अलग बयान से नाराजगी खुल कर सामने आ गई है। उधर शंभूराज देसाई के सूचक वक्तव्य को लेकर उद्धव ठाकरे के भी नरम पड़ने के संकेत मिल रहे हैं। कोर कमिटी में भी उठे नाराजगी के सुर को देखते हुए सीएम शिंदे ने  बुधवार की देर शाम अपने आवास वर्षा पर विधायकों और सांसदों की आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में भी सरकार के मुखिया एकनाथ शिंदे के साथियों ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि पिछली एमवीए सरकार बनने के दौरान भी अजित पवार के साथ शिवसेना के गठबंधन पर नाराजगी जताई गई थी और एनसीपी के मुद्दे पर ही शिवसेना छोड़ सरकार से बाहर हुए थे। पता चला है कि सीएम की बैठक में उनके नेताओं ने अगले कैबिनेट विस्तार को लेकर बीजेपी और एनसीपी के साथ होने वाली खींचतान का मुद्दा उठाया। मुख्यमंत्री शिंदे ने अपने सांसदों विधायकों को आश्वस्त किया कि उनके साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं होगा।