panvel terminas

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    मुंबई: मुंबई में मध्य रेल‍वे (Central Railway) पर सीएसएमटी, एलटीटी (LTT) के बाद अब तीसरा रेल टर्मिनस पनवेल (Panvel ) में बनाया जा रहा है। एमएमआर (MMR) के उपनगरों में बढ़ती आबादी को देखते हुए मुंबई और कुर्ला टर्मिनस (Kurla Terminus)  पर रेल यात्रियों का बोझ कम करने के उद्देश्य से पनवेल रेल टर्मिनस का निर्माण किया जा रहा है।

    वर्ष 2016-17 में इस परियोजना को मंजूरी दी गई थी। नई पनवेल टर्मिनस परियोजना में 26 कोच लंबाई का नया  प्लेटफार्म, यात्रियों के लिए एक एफओबी और अन्य सुविधाओं के साथ 1,500 वर्गमीटर का नया स्टेशन भवन शामिल है। नए कलंबोली रखरखाव केंद्र में चार वाशिंग-कम-पिट लाइन, 26 कोच लंबाई की दो लाइनें, 26-कोच ट्रेनों के लिए एंट्री-कम-एग्जिट लाइन के अलावा रखरखाव शेड होगा। 

    वंदे भारत जैसी ट्रेनें भी पनवेल टर्मिनल से चलेंगी 

    पनवेल टर्मिनस और काम्बोली कोचिंग कॉम्प्लेक्स को दोनों तरफ कनेक्टिविटी के साथ एक अलग तीसरी लाइन से जोड़ा जाएगा। मध्य रेल का लक्ष्य नए टर्मिनस से 24 डिब्बों की नई ट्रेनों को संचालित करना है। वंदे भारत जैसी अत्याधुनिक ट्रेनें भी पनवेल टर्मिनल से छोड़ी जाएंगी।

    450 करोड़ रुपए का है प्रोजेक्ट

    मध्य रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह बहुउपयोगी प्रोजेक्ट शुरू में लगभग 150 करोड़ रुपए का था, परन्तु समय के साथ लागत में बढ़ोतरी से लगभग 450 करोड़ रुपए का हो गया है। वैसे इसकी एक तिहाई रकम रेलवे को, जबकि 2 तिहाई बजट सिडको को वहन करना है। सिडको द्वारा समय पर निधी न उपलब्ध कराने से प्रोजेक्ट में देरी हुई है। रेलवे ने भी पनवेल टर्मिनल का काम गति शक्ति परियोजना के तहत करने का निर्णय लिया है, इससे प्रोजेक्ट में तेजी आने की संभावना है। इसके अलावा कलंबोली में तैयार हो रहे कोचिंग कॉम्प्लेक्स में लंबी दूरी की ट्रेनों को रखरखाव कार्यों के लिए मुंबई नहीं आना होगा।

    अब तक केवल 35 प्रतिशत निर्माण काम हुआ

    मध्य रेलवे के अनुसार, पनवेल टर्मिनस का लगभग 35 प्रतिशत काम हुआ है। वैसे टर्मिनस का काम 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य था, परंतु सिडको द्वारा निधी न उपलब्ध होने, कोरोना जमीन उपलब्धता आदि कारणों से काफी देरी हुई है। 26 कोच वाली ट्रेन को खड़ी करने की सुविधा इस टर्मिनस पर होगी।

    कोंकण और साऊथ के यात्रियों को होगी सुविधा

    पनवेल टर्मिनस शुरू होने पर कोंकण और साऊथ की तरफ जाने वाले यात्रियों को सुविधा होगी। इससे मुंबई के स्टेशनों पर यात्रियों भार कम होगा। पनवेल, कोंकण और दक्षिण भारत के लिए छूटने वाली गाड़ियों का प्रमुख केंद्र बन जाएगा। वैसे उत्तर भारत के लिए भी पनवेल से ट्रेनें छोड़ी जा सकेंगी। यह नवी मुंबई और एमएमआर का पहला रेल टर्मिनस होगा। उल्लेखनीय है कि इसके पहले ठाणे और मुलुंड के बीच टर्मिनस बनाए जाने की मांग हुई थी, परंतु भूखंड के अभाव में निर्णय नहीं हो सका।

    जमीन भी देगा सिडको 

    इस योजना के तहत पनवेल और कलंबोली के बीच छोटे पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है। कलंबोली में रखरखाव शेड और स्टेशन की इमारत भी लगभग बन चुकी है। स्टेशन के आसपास की भूमि सिडको के पास है। त्रिपक्षीय समझौते के तहत सिडको डेक स्लैब और सर्कुलेटिंग एरिया में रैंप के लिए 1.92 हेक्टेयर जमीन देगा। अधिकारियों के अनुसार, सिडको के माध्यम से समय पर जमीन और निधी का ट्रांसफर होने पर इस प्रोजेक्ट को गति मिल सकेगी।