election campaign with holi

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नवभारत न्यूज नेटवर्क
मुंबई: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चुनाव आयोग 16 मार्च को चुनावी कार्यक्रम की घोषणा कर चुका है। महाराष्ट्र में 5 चरणों में चुनाव होने हैं। पहले चरण नागपुर, चंद्रपुर सहित पांच जिलों में 19 अप्रैल को मतदान होना है। इसकी अधिसूचना जारी हो चुकी है लेकिन अभी तक मुंबई सहित महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार फीका ही नजर आ रहा है, क्योंकि महाराष्ट्र के सियासी दलों के दोनों गठबंधनों में अभी तक सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है। इस पर अब होली के बाद ही कुछ होने की उम्मीद की जा सकती है। इसलिए ऐसा माना जा सकता है कि मुंबई सहित महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार पर भी अब होली के बाद ही रंग चढ़ेगा। 

महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी में शामिल कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) व राकां (अजित) अभी तक गठबंधन और गठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला तय नहीं होने से प्रचार पर रंग में नहीं चढ़ रहा है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि उत्तर पश्चिम मुंबई और दक्षिण मध्य मुंबई सहित महाराष्ट्र की कई सीटों पर कांग्रेस और शिवसेना में मतभेद हैं। कमोबेश यही हालत बीजेपी नीत महायुति की भी है। महायुति में 13 सांसदों वाले शिवसेना (शिंदे) गुट की मुंबई सहित महाराष्ट्र की कई सीटों पर सहयोगी बीजेपी और एक सांसद वाली राकां (अजित पवार) की नजर है। इस वजह से सीटों के बंटवारे पर निर्णय नहीं हो पा रहा है। अब जबकि अगले दो दिनों तक पूरे देश पर होली की खुमारी छाई रहेगी। रविवार को होलिका दहन के बाद सोमवार को लोग रंगों का का त्योहार होली धूमधाम से मनाएंगे। इन दो दिनों में आम जनता के साथ-साथ सियासी लोग भी होली के रंग में रंगे रहेंगे।  इसलिए मुंबई सहित महाराष्ट्र पर सियासत का सुरूर होली के बाद ही चढ़ेगा। 
   
मविआ में वंचित बाधा
गौरतलब हो कि महाराष्ट्र में विपक्षी दलों के गठबंधन मविआ में बड़ा भाई कांग्रेस होगी या शिवसेना (उद्धव गुट) यह समस्या तो है ही लेकिन इसमें सीटों के बंटवारे में देरी की एक वजह प्रकाश आंबेडकर की वंचित का खौफ भी है। क्योंकि वंचित के कारण 2019 में कांग्रेस को करीब 8 सीटों पर हार मिली थी। इस बार ऐसा कुछ न हो, इसके लिए मविआ में शामिल घटक दल पिछले कई दिनों से वंचित के साथ चर्चा करते रहे हैं, लेकिन वंचित और मविआ के बीच तालमेल नहीं बन सका है। प्रकाश आंबेडकर ने पहल शिवसेना (उद्धव गुट) को 24-24 सीटों पर साथ लड़ने का ऑफर दिया था तो वहीं अब वंचित ने कांग्रेस का सात सीटों पर समर्थन का ऑफर दिया है। जबकि मविआ की ओर से वंचित को तीन सीटों की पेशकश की गई थी, जिसमें से दो सीटें वंचित को पसंद नहीं आईं और वंचित सिर्फ तीन सीटों पर मानने को तैयार नहीं है। हालांकि वंचित ने कांग्रेस को 26 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया है। तो वहीं मविआ की ओर से भी वंचित से नए सिरे से चर्चा करने की बात कही जा रही है। 

महायुति में मनसे का अड़ंगा
मविआ की बीजेपी नीत महायुति में भी बड़े भाई को लेकर कोई समस्या नहीं है। इसमें सीएम भले ही एकनाथ शिंदे हैं लेकिन निसंदेह बड़ा भाई बीजेपी ही है। महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे) और राकां (अजित) के बीच सीटों के बंटवारे पर पेंच पहले ही फंसा हुआ था, लेकिन उसमें मनसे की एंट्री के बाद मामला और उलढ गया है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मनसे को महायुति में शामिल करने को स्वीकृति दे दी है, लेकिन शामिल किस तरह से करना है यह महाराष्ट्र के नेताओं को तय करना है। इसके लिए सीएम शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ राज ठाकरे की दो बार मीटिंग हो चुकी है। 
ऐसा कहा जा रहा है कि इस मीटिंग में मनसे को तीन प्रस्ताव दिए गए हैं। 
1- मनसे का शिवसेना (शिंदे गुट) में विलय 
2- लोकसभा में कुछ सीटों के बदले विधानसभा में कम सीटें 
3- लोकसभा में समर्थन के बदले विधानसभा में सम्मानजनक सीटें। इन प्रस्तावों पर राज ने फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है लेकिन होली के बाद कुछ फैसला हो सकता है। ऐसे संकेत देवेंद्र फडणवीस भी दे चुके हैं।