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  • शिंदे गुट के वकील जेठमलानी का दावा
  • ठाकरे गुट के दस्तावेज फर्जी
  • अपात्रता की सुनवाई में अहम मोड़

नवभारत न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई: सीएम एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों की अपात्रता मामले में मंगलवार को विधान भवन में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान सीएम एकनाथ शिंदे के वकील महेश जेठमलानी ने एक बार फिर उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु को घेरने की कोशिश की। जेठमलानी ने आरोप लगाया कि ठाकरे गुट की ओर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए दस्तावेज झूठे हैं।  क्योंकि शिवसेना के संविधान में पार्टी प्रमुख का कोई पद नहीं है। जेठमलानी के दावे से इस सुनवाई में अहम मोड़ आ गया है। उन्होंने कहा कि शिवसेना का संविधान वर्ष 1999 का है और यह फिलहाल चुनाव आयोग के पास है। इस संविधान के अनुसार पार्टी प्रमुख का पद अस्तित्व में नहीं है। पार्टी प्रमुख के रूप में उद्धव ठाकरे ने जो कुछ भी किया है वह भी गलत है क्योंकि ऐसा कोई पद मौजूद नहीं है। जेठमलानी के दावे पर ठाकरे ग्रुप के वकील देवदत्त कामत ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है। ऐसे में इस पर बहस नहीं होनी चाहिए। अपात्रता मामले पर बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।   

फर्जी अयोग्यता याचिका
जेठमलानी ने यह भी आरोप लगाया है कि जून महीने में प्रस्ताव की एक नकली प्रति तैयार की गई थी और उसका इस्तेमाल फर्जी अयोग्यता याचिका दायर करने के लिए किया गया था।  उन्होंने कहा कि संकल्प पत्र पर विधायक दिलीप लांडे का फर्जी हस्ताक्षर किया गया है। 22 जून को हुई बैठक में दिलीप लांडे उपस्थित नहीं थे। हालांकि सुनील प्रभु ने जेठमलानी की दलील को खारिज करते हुए कहा कि ये सब झूठ है। 

 
विधायकों के फर्जी हस्ताक्षर
महेश जेठमलानी, सीएम शिंदे के वकील ने कहा, मुझे लगता है कि हमने सफलतापूर्वक यह स्थापित कर दिया है कि उन्होंने (उद्धव ठाकरे गुट) सुप्रीम कोर्ट में जो भी दस्तावेज दाखिल किया है, वह फर्जी है और उन्होंने कुछ विधायकों के फर्जी हस्ताक्षर भी किए हैं। उन विधायकों ने हलफनामा दायर किया है और वे आएंगे और इसके बारे में सबूत देंगे।