MLA disqualification Case, Bombay High Court, Notice, Speaker, High court notice rahul narvekar

Loading

  • स्पीकर के फैसले को चुनौती
  • महाराष्ट्र स्पीकर को हाई कोर्ट का नोटिस
  • विधायकों की अयोग्यता विवाद का मामला हाईकोर्ट में
  • शिवसेना ने यूबीटी गुट के विधायकों को अयोग्य न ठहराए जाने को दी चुनौती
  • 8 फरवरी को होगी मामले की अगली सुनवाई

नवभारत न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीती में शिवसेना में हुए विभाजन के बाद से जारी उठापटक थमने का नाम नहीं ले रही है। लंबे इंतज़ार के बाद विधायकों की अयोग्यता (MLA disqualification Case) के मामले पर विधानसभा अध्यक्ष (Speaker) राहुल नार्वेकर ने अपना लंबा-चौड़ा फैसला सुनाया। नार्वेकर के इस फैसले के खिलाफ जहां एक ओर युबीटी सेना ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। तो वहीं दूसरी तरफ शिवसेना के विधायक भरत गोगावले ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को हाईकोर्ट (Bombay High Court) में चुनौती दी है। स्पीकर के फैसले खिलाफ दायर की गई याचिका पर 17 जनवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले में उद्धव गुट और स्पीकर को नोटिस (Notice) जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 8 फरवरी को होगी। ऐसे में कहा जा सकता है ‘असली शिवसेना कौन’ मामले में नया मोड़ आ गया है। 

क्या है भारत की मांग 
भरत की याचिका में मांग की गई है कि उद्धव गुट के 14 विधायक कानूनी तौर पर अवैध है। जिस कारण उन्हें अयोग्य ठहराया जाना चाहिए। महत्वपूर्ण है कि विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने लंबी सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि शिवसेना पार्टी एकनाथ शिंदे की है। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिंदे गुट और युबीटी ग्रुप के सभी विधायक योग्य हैं। हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए मामले पर अगली सुनवाई 8 फरवरी तय कर दी है। 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पीकर को भेजा नोटिस
महाराष्ट्र के विधायकों की अयोग्यता मामले पर हाईकोर्ट ने बुधवार को उद्धव ठाकरे समूह के विधायकों को योग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर संज्ञान लिया। कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष सहित सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर अपना पक्ष स्पष्ट करने का आदेश दिया। यूबीटी गुट के विधायक सुनील प्रभु, विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और विधानसभा सचिव सभी इस मामले में प्रतिवादी बनाए गए हैं। इस मामले पर हाई कोर्ट की डबल बेंच के न्यायाधीश गिरीश कुलकर्णी और एन. वाई. फिरदौस पुनीवाला ने नोटिस जारी कर 8 फरवरी को इसकी सुनवाई तय की है। 

तेज सुनवाई की उम्मीद 
विधायकों की अयोग्यता की यह याचिका दो दिन पहले दायर की गई थी। इस पर तुरंत सुनवाई के लिए बुधवार की तारीख तय की गई थी। इस अवसर पर कुलकर्णी ने बताया कि उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि नई याचिकाएं एक-दो दिन में सूचीबद्ध कर दी जाएंगी। इसके चलते यह याचिका आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई थी। साथ ही इस नए नोटिफिकेशन से याचिकाओं पर तेजी से सुनवाई हो रही है। 

शिंदे गुट के विधायक व प्रतोद भरत गोगावले की मांग
शिंदे गुट के विधायक और प्रतोद भरत गोगावले ने ठाकरे गुट के विधायकों को योग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में मुख्य मांग ठाकरे समूह के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की है। गोगावले का दावा है कि ठाकरे गुट के विधायक कानूनी तौर पर अवैध हैं। याचिका में गोगावले द्वारा जारी व्हिप के खिलाफ ठाकरे समूह के सदस्यों द्वारा किये गये वोट को चुनौती दी गयी है। ठाकरे समूह के वोट विधानसभा की कार्यवाही के रिकॉर्ड का हिस्सा हैं। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि गोगावेले ने महज आरोप लगाए हैं। सुनवाई के दौरान गोगावले की ओर से दाखिल जवाब का भी स्पीकर ने अवलोकन नहीं किया। इसलिए स्पीकर का यह आदेश अवैध, अमान्य और असंवैधानिक है। इसलिए गोगावेल ने याचिका में विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को रद्द करने और ठाकरे समूह के सदस्यों को अयोग्य घोषित करने की भी मांग की है। 

स्पीकर का फैसला
शिवसेना पार्टी और विधायकों की अयोग्यता के संबंध में, पिछले हफ्ते विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने लंबी सुनवाई के बाद परिणाम की घोषणा की और फैसला सुनाते हुए कहा कि शिवसेना पार्टी एकनाथ शिंदे की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिंदे और उबाथा समूह के सभी विधायक योग्य हैं। जहां यूबीटी समूह ने उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, वहीं शिंदे समूह के विधायकों और प्रतोद भरत गोगावले ने 14 ठाकरे विधायकों की योग्यता के फिसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। चिराग शाह और एंड. उत्सव त्रिवेदी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।