कबूलनामे पर नहीं, सबूत पर मिलेगा श्रद्धा को इंसाफ: पूर्व डीजीपी मीरा चड्डा बोरवणकर

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    मुंबई : संदेह (Suspicion) भले ही मजबूत हो, लेकिन वह सबूत (Evidence) की जगह नहीं ले सकता। आरोपी (Accused) को दोषी साबित करने के लिए उसके बयान की नहीं सबूत की आवश्यकता होती है। देश के सबसे चर्चित श्रद्धा हत्या कांड (Shraddha Murder Case) में जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही है। आफताब (Aftab) को कातिल साबित करने से पहले श्रद्धा का कत्ल हुआ है ये सिद्ध करना दिल्ली पुलिस के लिए एक बड़ा चैलेंज बना हुआ है। सबूतों और सुराग की तलाश में महरौली का जंगल पुलिस छावनी में बदल गया है। श्रद्धा मर्डर केस में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे आफताब पुलिस को षड्यंत्र के तहत गुमराह कर और समय ले रहा है। जिससे बचे हुए श्रद्धा के शरीर के टुकड़े जो पुलिस के हाथ नहीं लगे है वह नष्ट हो जाए। 

    आरोपी के कबूलनामे पर भरोसा करना पुलिस की बहुत बड़ी गलती हो सकती है। कबूलनामे को इंपॉर्टेंट नहीं देते हुए अधिक से अधिक सबूत इकट्ठा करें, क्योंकि छह महीने बाद अदालत में अपराध साबित करना पुलिस के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होगा। हालांकि अब डीएनए और अन्य टेक्नोलॉजी क्राइम की जांच में काफी मदद कर सकती हैं। लेकिन पुलिस को सबसे पहले यह साबित करना है कि उसे मिले शरीर के टुकड़े श्रद्धा के ही हैं। ब्लड सैंपल, सीसीटीवी फुटेज, चश्मदीद आदि भी अहम होंगे। – डॉक्टर मीरा चड्डा बोरवणकर, पूर्व डीजीपी 

    क्राइम वेब सीरीज देख, लगाया लाश को ठिकाने 

    अपने इश्क को खूनी अंजाम तक पहुंचाने वाला आफताब पूनावाला ने पुलिस के सामने कुछ नए और हैरतअंगेज खुलासा किया है। पुलिस के सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार, हत्या के बाद खौफजदा कातिल ने सबसे पहले लाश को ठिकाने लगाने के लिए कई क्राइम वेब सीरीज देखी थी। जिससे उसे श्रद्धा के जिस्म को टुकड़े कर किसी सुनसान जगह पर फेकने का आइडिया मिला। इसके बाद उसने इंटरनेट पर कम समय पर और आसानी से इंसान की बॉडी काटने वाले हथियार, जो की इलेक्ट्रिक आरी है को ढूंढ निकाला, क्योंकि उसे डर था कि अगर मैंने उसके शरीर का अंतिम संस्कार किया तो मैं पकड़ा जाऊंगा। 

    बकाया पानी के बिल से पुलिस को उम्मीद 

    पुलिस को आरोपी आफताब के फ्लैट पर पानी का 300 रुपए बकाया बिल मिला है। दिल्ली में सरकार द्वारा 20,000 लीटर पानी फ्री में मिलता है। इसके बावजूद आफताब का पानी का बिल बढ़कर आ रहा था। आफताब के फ्लैट के पड़ोसियों ने बताया कि सभी फ्लोर का पानी का बिल जीरो आया है। पुलिस को अंदेशा है कि श्रद्धा की हत्या के बाद खून को साफ करने के लिए आफताब ने पानी का ज्यादा इस्तेमाल किया। 

    श्रद्धा बनकर चला रहा था आफताब मोबाइल

    आफताब ने पुलिस को पहले बयान दिया था कि 22 मई के बाद से श्रद्धा और उसके बीच कोई बातचीत नहीं हुई। जबकि 31 मई को श्रद्धा के मोबाइल के ही अकाउंट से इंस्टाग्राम पर उसके एक दोस्त से चैट हुई थी। ये चैट श्रद्धा बन कर आफताब ही कर रहा था। 

    फोरेंसिक जांच पर ही टिका है पूरा केस

    इनमें से कुछ हड्डियां जंगल में यूं ही पड़ी मिलीं तो कुछ नालों से निकाली गई। हालांकि इन हड्डियों को आंखों से देख कर ये कह पाना मुश्किल है कि हड्डियां इंसान की हैं या जानवर की। इसलिए पुलिस भी पुख्ता तौर पर कुछ कहने की बजाय हड्डियों की फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही है। सभी हड्डियां फॉरेंसिक जांच के लिए भेजी जा चुकी हैं। कुल मिलाकर ये पूरा केस इस वक्त पूरी तरह से फोरेंसिक जांच पर ही टिका हुआ है। 

    कपड़े-चादर भी जब्त

    फोरेंसिक टीम के मशवरे पर दिल्ली पुलिस ने आफताब के घर से उनके कुछ कपड़े और चादर भी जब्त किए हैं, जिन्हें जांच के लिए भेजा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि आफताब ने 20 दिनों तक लाशों के टुकड़े करने के बाद उन्हें ठिकाने लगाया था। बहुत मुमकिन है लाश के टुकड़े करते वक्त कुछ निशान उसके कपड़ों पर रह गए हों, इससे भी जांच में काफी मदद मिल सकती है। 

    जंगल में छुपा है हत्या का सबूत

    पुलिस जंगल-जंगल पीड़िता के शव के टुकड़े इकठ्ठा करने के लिए भटक रही है। पुलिस इस लिए भटक रही है क्योंकि कातिल को, कातिल साबित करने के लिए पुलिस के हाथ फिलहाल खाली है और उन्हें सबूत चाहिए, जो फिलहाल इस जंगल में ही कहीं छुपा हुआ है।