बालकों के लैंगिक शोषण पर कार्रवाई जरूरी, वरिष्ठ स्तर न्यायाधीश जयदीप पांडे ने कहा

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    नागपुर. जिला विधि सेवा प्राधिकरण के सचिव तथा दिवानी न्यायाधीश वरिष्ठ स्तर जयदीप पांडे ने कहा कि बालकों का हित व उनके अधिकार के बारे में कानून में उचित प्रावधान किया गया है. बालकों का लैंगिक शोषण व दुरुपयोग अपराध है. अपराध करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई आवश्यक है. 

    वे जिला विधि सेवा प्राधिकरण द्वारा सेवा सदन हाईस्कूल बर्डी में ‘लैंगिक अपराध से बच्चों का संरक्षण कानून, अधिनियम 2015’, ‘अच्छा या खराब स्पर्श’ विषय पर आयोजित जनजागृति कार्यक्रम में बोल रहे थे.  प्राधिकरण सदस्य एड. सुरेखा बोरकुटे, विधि स्वयंसेवक आनंद मांजरखेडे उपस्थित थे. 

    बाल न्याय अधिनियम 2000 में संसोधन किया गया है. जो बच्चे अपराध करते हैं उनके खिलाफ नये अधिनियम के अनुसार मामला दर्ज किया जाएगा. जब बच्चों को न्याय मंडल के समक्ष हाजिर किया जाता है उस वक्त आयु प्रमाण आवश्यक होता है. 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कारागृह में न रखकर निरीक्षण गृह में रखा जाना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति ने बाल अवस्था में अपराध किया तो उसके चरित्र प्रमाणपत्र में अपराध का उल्लेख नहीं किया जा सकता. सुरेखा बोरकुटे ने कहा कि बालकों से संबंधित मामले बेहद संवेदनशीलता के साथ निपटाने चाहिए. 

    बैड टच, गुड टच पर जागृति हो 

    उन्होंने कहा कि बैड टच और गुड टच के बारे में जनजागृति आवश्यक है. इस बारे में स्कूल के शिक्षक व पालकों को भी बताना चाहिए ताकि अनुचित घटना न हो सके. विधि स्वयंसेवक आनंद मांजरखेडे ने जिला विधि सेवा प्राधिकरण द्वारा नागरिकों को दी जाने वाली मुफ्त सलाह व सलाह योजना के बारे में जानकारी दी. इस दौरान छात्रों से सवालों के भी जवाब दिए. संचालन शिक्षिका अनुराधा सुले व आभार प्रदर्शन नंदिनी हिरुडकर ने किया.