Tigress Avani

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नागपुर. निजी शूटर के माध्यम से अवनी बाघिन को शूट किए जाने के मामले की पुन: जांच करने के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम की नियुक्ति करने, बाघिन की हत्या करने के सभी सबूतों का परीक्षण करने की मांग करते हुए अर्थ ब्रिगेड की ओर से हाई कोर्ट में फौजदारी जनहित याचिका दायर की गई. याचिका पर दोनों पक्षों की लंबी दलीलों के बाद बुधवार को हाई कोर्ट ने याचिका के तमाम पहलुओं पर पहले ही विचार होने का हवाला देते हुए याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि इसी अदालत के सामने पहले भी सभी पहलुओं को रखा गया है. इसी तरह से सर्वोच्च न्यायालय में भी इन मुद्दों को रखा गया है जिससे अब पुन: इन पर विचार करने का औचित्य नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. सेजल लखानी, सरकार की ओर से विशेष अधि. कार्तिक शुकुल, शूटर नवाब अली और नवाब असगर अली की ओर से अधि. मो. एम. शरीफ और अधि. आदिल मिर्जा ने पैरवी की.

आतंक के साए में रहे 26 से अधिक गांव
याचिका में बताया गया कि जून 2016 से अवनी बाघिन ने नवंबर 2017 तक यवतमाल सर्कल के पांढरकवड़ा डिवीनजनल फारेस्ट के आसपास 10 लोगों का शिकार किया था. उक्त बाघिन ने स्थानीय क्षेत्र में तबाही मचा दी जिसके कारण 26 से अधिक गांवों के 21,000 निवासी लगातार भय और दहशत में थे. यहां तक कि अपने दैनिक कार्य और कृषि गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ थे. इसे देखते हुए बाघिन को बेहोश कर पकड़ने के लिए कई प्रयास किए गए. 2 वर्षों में 12 बार प्रयास हुए लेकिन सभी प्रयास असफल रहे. चूंकि वन विभाग के सभी प्रयास विफल हुए थे, अत: वन विभाग ने निजी शूटर और उसकी टीम को आमंत्रित किया. अवनी बाघिन के आतंक को देखते हुए एनटीसीए के दिशानिर्देशों और कानून के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार आधिकारिक तौर पर आदमखोर घोषित किया गया.

सुको भी खारिज कर चुका है याचिका
अदालत को बताया गया कि वन विभाग और अन्य ने अवनी को शांत करने और पकड़ने तथा यदि आवश्यकता हो तो खत्म करने के लिए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 11 (1)(ए) के तहत आदेश जारी किया जिस पर आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. इसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया. हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई किंतु सुको ने भी याचिका खारिज कर दी. अदालत को बताया गया कि निजी शूटर की नियुक्ति के बाद 10 दिनों तक संघर्ष चलता रहा लेकिन बाघिन को बेहोश कर पकड़ने में सफलता नहीं मिली जिसके बाद बाघिन को शूट करने का सुझाव दिया गया. इस मामले पर आपत्ति जताई जाने के बाद जांच की गई जिसमें किसी तरह की खामी नहीं होने की जानकारी दी गई.