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    नागपुर. इस बार गर्मी ने हलाकान कर रखा है. पारा 40 डिसे से कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. मौसम विभाग ने भी पारा चढ़ने की संभावना व्यक्त की है. इस महीने लू के थपेड़े भी परेशान करेंगे. इसका स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ना तय है. गर्मी शुरू होते ही अप्रैल में शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में शीत वार्ड तैयार किया जाता है लेकिन अब तक वार्ड नहीं बनाया गया है. वरिष्ठ अधिकारी एसी, कूलर की हवा ले रहे हैं और मरीज पंखे के भरोसे ही है.

    २3 मार्च से १ अप्रैल के बीच हर वर्ष शीत वॉर्ड तैयार किया जाता है लेकिन इस बार गर्मी ज्यादा होने के बाद भी वार्ड नहीं बनाया गया. दरअसल, धूप में काम करने वालों को अक्सर उष्माघात का खतरा रहता है. यदि समय पर इलाज न मिले, इससे जान भी जाने का जोखिम बना रहता है. अब तक राज्य में कुछ मरीजों की मौत उष्माघात से हुई भी है. पिछले तीन वर्ष मेडिकल के वार्ड क्रमांक 23 में शीत वार्ड बनाया जा रहा है. अब 4 अप्रैल हो जाने के बाद भी वार्ड की तैयारी नहीं दिख रही है. वार्ड नहीं होने से उष्माघात के मरीजों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं.

    मरीजों,परिजनों के बुरे हाल 

    मेडिकल के कई वार्डों में भी अब तक कूलर नहीं लगाए गये हैं. भीषण गर्मी होने से पंखें की हवा भी काम नहीं कर रही हैं. कई मरीज तो अपने साथ टेबल फेन लेकर आये हैं. वार्डों में पुराने पंखे होने से हवा भी कम देते हैं. जबकि अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों के कमरों में कूलर लग गये हैं. कूलर नहीं होने से निवासी डॉक्टरों सहित नर्सों की परेशानी बढ़ गई है. मेडिकल और मेयो में उष्माघात के मरीजों का पंजीयन अनिवार्य किया गया है लेकिन अब तक किसी भी मरीज का पंजीयन नहीं होने की जानकारी सामने आई है. 

    वॉर्ड क्रमांक २3 में शीत वॉर्ड तैयार करने के लिए कूलर दिये गये हैं. डॉ. अर्चना देशपांडे को शीत वार्ड की जिम्मेदारी सौंपी गई. अब तक उष्माघात का कोई भी मरीज नहीं आया है. ४५ डिसे पारा होने के बाद मरीजों के आने की संभावना है.

    -डॉ. अतुल राजकोंडावार, वैद्यकीय अधीक्षक, मेडिकल.