Court approves sacking of 12 Manpa employees, High Court validates Munde's decision
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    नागपुर. अस्पताल में कानून और नियमों के अनुसार फायर सेफ्टी के संसाधन नहीं होने के कारण परिसर को खाली कराने के लिए मनपा के अग्निशमन विभाग की ओर से नोटिस जारी किया गया. जिसे चुनौती देते हुए काने सर्जिकल अस्पताल की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई.

    याचिका पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश नितिन सांबरे ने अस्पताल में फायर सेफ्टी को लेकर किए गए उपायों का मूल्यांकन करने के आदेश जारी किए. साथ ही अदालत ने मूल्यांकन करने के बाद रिपोर्ट तैयार कर अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने के भी आदेश मनपा को दिए.

    उल्लेखनीय है कि इसी तरह के नोटिस को चुनौती देते हुए अन्य अस्पताल की ओर से भी हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसमें अदालत ने सभी मरीजों को डिस्चार्ज देने के आदेश जारी किए थे. किंतु इस अस्पताल में मरीज भर्ती नहीं होने का खुलासा होने के बाद अदालत ने यह आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. एस.एस.घाटे और मनपा की ओर से अधि. जैमीनी कासट ने पैरवी की.

    फायर ऑडिट करने सुको ने दिए थे आदेश

    हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार मनपा की ओर से शपथ पत्र दायर किया गया. जिसमें बताया गया कि कई तरह की इमारतों में फायर  प्रिवेंशन एंड लाइफ सेफ्टी मेजर्स के प्रावधानों को अधिक सक्षम बनाकर 8 दिसंबर 2008 को कानून पारित किया गया. जिसके अनुसार अग्निरोधक उपकरण उपलब्ध कराने का दायित्व बिल्डिंग ओनर या सम्पत्ति धारक का रखा गया है.

    जिस इमारत में याचिकाकर्ता का अस्पताल है, वह 3 मंजिला इमारत है. कोरोना काल में कुछ अस्पतालों में आग की घटनाएं होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय सभी अस्पतालों का फायर ऑडिट करने के आदेश राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिया था. साथ ही अस्पतालों में देखी गई खामियों की जानकारी प्रबंधन को देने के आदेश भी दिए थे. महाराष्ट्र फायर सर्विसेस के संचालक ने 18 जनवरी 2021 को पत्र जारी कर मनपा आयुक्त को इसका पालन करने आदेश जारी किए थे.

    बिजली और पानी खंडित करने के आदेश

    शपथ पत्र में बताया गया कि सरकार से मिले निर्देशों के अनुसार मनपा ने 23 मार्च 2021 को याचिकाकर्ता के अस्पताल का मुआयना किया था. संबंधित अधिकारी ने इसकी रिपोर्ट भी तैयार की. जिसके बाद फायर सेफ्टी को लेकर उजागर हुई खामियों पर 30 दिनों में उपाय करने का नोटिस याचिकाकर्ता को दिया गया. किंतु इसका पालन नहीं किए जाने पर चीफ फायर ऑफिसर की ओर से इमारत को खतरा बताते हुए तुरंत खाली करने के आदेश दिए गए. इसके बावजूद अमल नहीं होने पर सीएफओ ने बिजली और पानी खंडित करने के निर्देश जारी किए.