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    नागपुर. जेल के अंदर कैदियों की सुविधा के लिए चल रहे रैकेट का पर्दाफाश होने के बाद सुरक्षा-व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. जब जेल के भीतर बैठकर शहर के अपराधी अपना नेटवर्क सेट कर सकते हैं तो यहां नक्सली और आतंकी गतिविधियों से जुड़े कैदियों द्वारा क्या कुछ नहीं किया जा रहा होगा? वैसे नक्सलियों और आतंकी गतिविधि से जुड़े कैदियों को विशेष बैरेक में रखा जाता है लेकिन ‘जब सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का?’ जेल के कर्मचारी ही कैदियों को सारी सुविधाएं प्रदान करवा रहे थे.

    इस प्रकरण में पहले पकड़े गए 5 आरोपियों अजिंक्य राठौड़, प्रशांत राठौड़, गोपी उर्फ गोपाल पराड़े, श्रीकांत थोरात और राहुल मेंढेकर की सोमवार को पुलिस हिरासत खत्म हो गई. धंतोली पुलिस ने उन्हें दोबारा न्यायालय में पेश कर पुलिस हिरासत मांगी. न्यायालय में पांचों को 8 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में रखने के आदेश दिए हैं. इस मामले में परमेश्वर खोंडे नामक जेल रक्षक की भी गिरफ्तारी हुई है. उससे भी पुलिस हिरासत में पूछताछ की जा रही है.

    जांच में पता चला कि खोंडे की मदद से ही कैदियों ने जेल के अंदर  से सैकड़ों फोन कॉल किए हैं. अजिंक्य और प्रशांत राठौड़ के साथ मिलकर खोंडे ने गिरोह तैयार किया था. जेल से निकलने वाली चिट्ठियां पहले खोंडे को ही भेजी जाती थीं. खोंडे अन्य आरोपियों से संपर्क करके सामान मंगवाता था. 2 महीने पहले ही जेल रक्षकों ने एक अपराधी को गांजा और मोबाइल भीतर ले जाते पकड़ा था. इसके बाद सिटी पुलिस ने जेल में छापेमारी भी की.

    बताया जाता है कि मुंबई के अंडरवर्ल्ड सरगना के पास भी एक मोबाइल फोन था. वह पकड़ा न जाए इसलिए स्थानीय अपराधी ने इल्जाम अपने ऊपर ले लिया. इस सरगना के पास मोबाइल फोन मिलता तो समय-समय पर उसे मिलने वाली पैरोल और फर्लो पर भी असर पड़ सकता था, इसीलिए पूरी सेटिंग के तहत यह काम किया गया. अब पुलिस ने निषेध वासनिक और उसके साथी वैभव तांडेकर को गिरफ्तार करने की अनुमति न्यायालय से मांगी है. जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा.