(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Loading

नागपुर. एक समय था जब देशभर के राज्यों की पुलिस प्रशासकीय व्यवस्था में महाराष्ट्र को अव्वल माना जाता था लेकिन पिछले कुछ वर्षों में प्रशासकीय व्यवस्था इस कदर बिगड़ गई है कि आला आईपीएस अधिकारियों में नाराजगी है. अधिकारियों की नियुक्ति में बंदरबांट चल रही है. राज्य के कई महत्वपूर्ण पद खाली है लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. अफसरों की माने तो सरकार आपस में ही तालमेल नहीं बैठा पा रही है. अधिकारियों की नियुक्ति में सरकार के 3 शीर्ष नेताओं का आपसी तालमेल नहीं बैठ पा रहा है. वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद सीएम और गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य पुलिस में पुलिस महासंचालक पद बढ़ा दिए थे. इसके पहले डीजी के केवल 4 पद हुआ करते थे. महाराष्ट्र सबसे प्रगतिशील राज्य माना जाता है. ऐसा नहीं है कि पहले आला अधिकारियों की पोस्टिंग में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होते थे लेकिन योग्यता के आधार पर ज्यादा पोस्टिंग दी जाती थी, लेकिन योग्यता को दरकिनार कर राजनीतिक दृष्टिकोण ज्यादा दिखाई देता है.

डेढ़ वर्ष से रिक्त है DG एसीबी पद 

पिछले डेढ़ वर्षों से राज्य में डीजी एंटी करप्शन ब्यूरो की पोस्ट खाली है. वरिष्ठ अधिकारी होते हुए भी इस पोस्ट को खाली रखा जाना आश्चर्य की बात है. कुछ दिन पहले ही एनसीआरबी ने वर्ष 2022 के अपराधों के आंकड़े जारी किए है. राज्य में भ्रष्टाचार के मामले तेजी से बढ़ रहे है. इसके बावजूद अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई. पहले डीजी एसीबी को ही राज्य के पुलिस महासंचालक की कमान सौंपी जाती थी. वर्तमान डीजी रजनीश सेठ इसी महीने सेवानिवृत्त होने वाले हैं. ऐसे में उनके द्वारा स्वेच्छा निवृत्ति लेने की चर्चा गरम हो गई. सरकार ने उन्हें एमपीएससी का मुखिया नियुक्त करने का निर्णय लिया है. अब उनकी निवृत्ति के बाद सरकार की सबसे करीबी माने जाने वाली अधिकारी रश्मि शुक्ला ही अगली दावेदार है. फिलहाल दोनों की अधिकृत पोस्टिंग को हरी झंडी नहीं मिली है. 

शीत सत्र पर नहीं आए डीजी 

हर वर्ष शीत सत्र अधिवेशन के दौरान राज्य के डीजी नागपुर आते थे लेकिन इस बार ऐसा होते नहीं दिखा. बाकायदा डीजी कैंप में उनके रहने की व्यवस्था की जाती थी लेकिन इस बार कैंप सूना दिखाई दे रहा है. डॉ. भूषण कुमार उपाध्याय के निवृत्त होने के बाद डीजी होमगार्ड का पद भी रिक्त है. यूती सरकार ने डीजी सिविल डिफेंस का भी एक पद बनाया था. लंबे समय से यह पद रिक्त है. पहले सिविल डिफेंस विभाग डीजी होमगार्ड के अधीन ही आता था. डीजी लीगल व टेक्निकल  बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. आला आईपीएस अधिकारी संदीप बिश्नोई को डीजी हाउसिंग व कल्याण नियुक्त किए जाने के बाद से यह पद भी रिक्त है. ऐसे में सजा का दर कैसे बढ़ेगा. 4 महीने बाद बिश्नोई भी निवृत्त हो जाएंगे और जून 2024 में शुक्ला भी रिटायर होने वाली है. ऐसे में मुंबई के सीपी विवेक फणसालकर को राज्य पुलिस की कमान सौंपी जाएगी. 

नहीं मिल रहे विश्वासु अधिकारी

ठाणे के सीपी जयजीत सिंह ढाई वर्ष से ज्यादा का कार्यकाल पूरा कर चुके है. सीपी अमितेश कुमार ने सितंबर 2020 में नागपुर सिटी की कमान संभाली थी. उन्हें नागपुर में सवा 3 साल पूरे हो गए है. एडीजी रैंक के 20 अधिकारी राज्य में उपलब्ध होने के बावजूद सरकार का नियुक्ति को लेकर उदासीन रवैया है. असल में सरकार अपनी सहुलियत के अनुसार अधिकारियों को पोस्टिंग देना चाहती है. आने वाले कुछ महीनों में चुनाव होने है. ऐसे में सभी नेता चाहते हैं कि उनके शहरों में मनपसंद और विश्वासु अधिकारियों को नियुक्त किया जाए. आला स्तर के कई अधिकारी है जिन्हें अब तक कोई एग्जीक्यूटिव पोस्ट नहीं मिली है. कई अधिकारी बड़े शहरों में कमिश्नर बनने की इच्छा रखते है लेकिन उन्हें साइड पोस्टिंग में सड़ाया जा रहा है.

जूनियर अधिकारी बन रहे ज्वाइंट कमिश्नर

पहले सभी बड़े शहरों में ज्वाइंट कमिश्नर पद पर ऐसे अधिकारियों को नियुक्ति दी जाती थी जो एडीजी रैंक पर प्रमोशन की प्रतीक्षा करते थे लेकिन अब ज्वाइंट कमिश्नर पद पर भी जूनियर अधिकारियों की नियुक्ति हो रही है. पहले मुंबई सिटी में डीसीपी भी वरिष्ठ हुआ करते थे लेकिन अब जूनियर अधिकारियों को नियुक्त किया जा रहा है. कई आईपीएस अधिकारियों को सेवा में 6 वर्ष पूरे होने के बावजूद जिला नसीब नहीं हुआ. बैच के हिसाब से पोस्टिंग देने की प्रणाली को दरकिनार करके अधिकारियों को नियुक्ति देने से पुलिस विभाग में नाराजगी बढ़ती जा रही है. जिस तरह नेता अच्छा मंत्रालय चाहते हैं. उसी तरह पुलिस अधिकारी भी किसी अच्छी पोस्ट से निवृत्ति लेने की कामना करते हैं लेकिन स्तर पर ‘अंधा बांटे रेवड़ी, अपने-अपने को दे’ वाली स्थिति बनीं हुई है.