Mayo Hospital

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    नागपुर. मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए सवा महीने से एक विधवा महिला मेयो अस्पताल का चक्कर काट रही है. मृतक की बीमा राशि प्राप्त करने के लिए प्रमाणपत्र की आवश्यकता है लेकिन कर्मचारियों के टालमटोल रवैये से महिला परेशान हो गई है. समाज एकता नगर, कलमना निवासी नितिन खुमन मौंदेकर को बीमारी की वजह से मेयो में 31 मई को भर्ती किया गया था. 6 जून को उसकी मृत्यु हो गई. मृतक पेशे से ऑटो चालक था. घर में उसके 75 वर्षीय बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी और 10-12 वर्ष के दो बच्चे हैं. मृतक की पत्नी घरेलू महिला है. 39 वर्षीय नितिन की अचानक मृत्यु से मौंदेकर परिवार पर गहरा संकट छा गया है.

    नितिन की विधवा पत्नी पुष्पा मौंदेकर के सिर पर अब अपने बूढ़े सास-ससुर और दोनों मासूम बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी आ गई है. पुष्पा ने पति की बीमा राशि को प्राप्त करने के लिए 24 अगस्त को मेयो अस्पताल के जन्म मृत्यु विभाग में मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए लिखित रूप में आवेदन किया. बीमा राशि प्राप्त करने के लिए बीमा कंपनी को अस्पताल से मृतक का बीमा फॉर्म भरकर लाना अनिवार्य है.

    बीमा का दावा रद्द होने का सता रहा डर 

    पुष्पा अब तक 5-6 बार मेयो अस्पताल का चक्कर लगा चुकी है लेकिन जन्म मृत्यु विभाग द्वारा प्रमाणपत्र नहीं दिया जा रहा है. शुक्रवार को पुष्पा फिर से मेयो गई. इस बार भी काम नहीं हो सका. एक समाज सेवक द्वारा इस बारे में पूछताछ करने पर विभाग के लिपिक ने आवेदन मेडिसिन विभाग में भेजने का जवाब दिया. जब लिपिक से आवेदन भेजने का आवक जावक क्रमांक और तारीख मांगी तो लिपिक ने ऐसा कोई नंबर और रजिस्टर नहीं होने की जानकारी दी.

    मेडिसिन विभाग में जाने पर पता चला कि जन्म मृत्यु विभाग से किसी भी तरह का आवेदन नहीं आया है. इस तरह के मामलों में मेयो प्रशासन द्वारा आवेदकों को जानबूझकर महीनों चक्कर लगवाया जाता है. सवा महीने से ज्यादा समय होने पर पीड़िता का बीमा कंपनी से बीमा फॉर्म रद्द होने का डर भी सता रहा है.