Scam
प्रतीकात्मक तस्वीर

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    नागपुर. 150 करोड़ रुपये के एनडीसीसी बैंक घोटाले मामले में शुक्रवार को आरोपी सुबोध भंडारी और नंदकिशोर त्रिवेदी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पूरे मामले की ट्रेडिंग मुंबई से मुंबई में ही हुई है, इसलिए नागपुर में मामला दर्ज करने का अधिकार ही नहीं बनता. बचाव पक्ष की ओर से कोर्ट को बताया कि सुबोध पेशे से सीए हैं जबकि नंदकिशोर कंपनी सेक्रेटरी हैं. घोटाले के समय दोनों होम ट्रेड लिमिटेड में कर्मचारी के तौर पर काम करते थे. ऐसे में वे केवल कम्पनी के निर्देशों का पालन करते थे. उन्हें निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं था.

    सारा लेन-देन मुंबई के दायरे में ही

    बचाव पक्ष की ओर से पेश हुए एडवोकेट अशोक भांगडे, बीबी तिवारी और अनिकेत चौबे ने दलील दी कि शेयर मार्केट में लिस्टेड हर कंपनी का एक खाता रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में रखा जाता है. यहीं से कंपनी के अन्य खातों की निगरानी होती है. जांच अधिकारी ने आरबीआई से कंपनी के खातों की कोई जानकारी और उचित कागजात लाए ही नहीं. वहीं एचटीएल कंपनी का खाता मुंबई में है. कंपनी का सारा लेन-देन मुंबई से मुंबई में ही हुआ है. ऐसे में यह नागपुर ट्रेड के कानूनन अधिकार क्षेत्र में ही नहीं आता, इसलिए यहां केस करने का भी अधिकार नहीं बनता. शनिवार को भी मामले की सुनवाई जारी रहेगी. इस दिन सुबोध भंडारी, नंदकिशोर त्रिवेदी के अलावा 11वें आरोपी सुरेश पेशकर की ओर से दलीलें पेश कीं जाएंगी.

    4 राज्यों में 19 मामले दर्ज

    उल्लेखनीय है कि वर्ष 2002 में सामने आए इस घोटाले में 4 राज्यों में 19 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें शहर पुलिस के गणेशपेठ थाने में भी मामला दर्ज है. सभी में केतन सेठ को आरोपी बनाया गया है जो प्रतिभूति दलाल है. अलग-अलग राज्यों में मामले होने से सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि सभी मामलों की सुनवाई एक ही जगह की जाए. इस पर सुको ने सभी मामलों की सुनवाई को रोकने के आदेश दिया था. यह आदेश 5 अक्टूबर 2021 को दिया गया था. हालांकि गत महीने 2 जून को सुको ने एनडीसीसी सहित अन्य सहकारी बैंकों में हुए घोटालों की सुनवाई शुरू करके युक्तिवाद पूरा करने का आदेश दिया. इसके बाद हाई कोर्ट द्वारा फास्टट्रैक कोर्ट का गठन कर नागपुर में भी सुनवाई शुरू कराई ताकि ट्रायल जल्द से जल्ट निपटाया जा सके.