Exams
File Photo

    Loading

    नागपुर. इन दिनों आरटीएम नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा ग्रीष्म सत्र की परीक्षाएं ली जा रही हैं लेकिन लचर कार्यप्रणाली के चलते एक के बाद एक गड़बड़ी सामने आ रही है. गुरुवार को बीएससी के गणित विषय का परचा लीक होने की घटना ने विवि के ‘मॉनिटिरिंग सिस्टम’ की पोल ही खोल कर रख दी.

    विवि द्वारा कॉलेजों में एमसीक्यू पद्धति से परीक्षा लेने को लेकर शुरुआत से विरोध किया जा रहा था. विशेषज्ञों का मानना था कि इस तरह की परीक्षा में गंभीरता नहीं रहेगी. यह छात्रों के भविष्य के लिए ठीक नहीं है. 2 वर्ष से कोविड की वजह से ऑनलाइन परीक्षा ही ली जाती रही. इस बार ऑफलाइन परीक्षा ली जानी चाहिए लेकिन विवि ने ऑफलाइन परीक्षा का निर्णय तो लिया लेकिन ऑनलाइन पद्धति से जिस तरह से डेढ़ घंटे की परीक्षा ली जा रही थी, उसी तरह के पैटर्न को बरकरार रखा. लिखित परीक्षा की बजाय बहुप्रश्न पद्धति से परीक्षा ली जा रही है.

    पहले ही आ जाता है पेपर

    विवि द्वारा परीक्षा से कुछ देर पहले संबंधित कॉलेजों के मेल पर पेपर भेजा जाता है. इसके लिए प्राचार्य को आईडी और पासवर्ड भी दिया गया है. पेपर की एक कापी निकालने के बाद छात्रों की संख्या के अनुसार उसकी झेराक्स की जाती है. पेपर और झेराक्स के बीच करीब 1-2 घंटे का समय होता है. इसी बीच पेपर लीक होने पूरी संभावना रहती है.

    बताया जाता है कि अब भी कई कॉलेजों में परीक्षा से पहले छात्रों के हाथ पेपर लग जाते हैं. इस संबंध में विवि की ओर से कोई पुख्ता देखरेख नहीं है. विवि ने कॉलेजों को जिम्मेदारी सौंप दी है. दूरदराज और ग्रामीण भागों के कॉलेजों में परीक्षा महज खानापूर्ति रह गई है. परीक्षा के दौरान होने वाली गड़बड़ी और निरीक्षण के लिए विवि की ओर से विशेष व्यवस्था भी नहीं की गई है.

    होम सेंटर से बढ़ी गड़बड़ी 

    विशेषज्ञों का मानना है कि विवि द्वारा होम सेंटर की बजाय अन्य केंद्रों पर परीक्षा ली जाती तो मनमर्जी और गड़बड़ी की संभावना कम होती थी लेकिन अपने ही कॉलेज में छात्रों की परीक्षा होने से गंभीरता नहीं रह गई है. कई जगह तो शिक्षकों द्वारा भी छात्रों को उत्तर बताने की भी शिकायतें मिली हैं.

    दरअसल तमाम तरह की शिकायतें विवि को पहले ही दिन से मिल रही हैं लेकिन अधिकारी ही ध्यान नहीं दे रहे हैं. मुसीबत टालने जैसी स्थिति बनाकर कॉलेजों को परीक्षा की जिम्मेदारी सौंप दी गई है. कुछ इंजीनियरिंग कॉलेजों में तो यह भी देखने को मिल रहा है कि गूगल से आंसर निकाले जा रहे हैं. इस कार्य में प्राध्यापक भी मदद कर रहे हैं. अपने-अपने कॉलेज का परिणाम बेहतर बनाने की होड़ में छात्रों के भविष्य का नुकसान हो रहा है. लगातार 3 वर्ष से बिना लिखित परीक्षा के डिग्री लेकर बाहर निकलने वाले छात्रों को रोजगार के लिए दिक्कतें आ सकती हैं.