Nagpur Jail

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    नागपुर. सेंट्रल जेल में उस समय हड़कंप मच गया जब एक मोका का आरोपी न्यायालय से लौटते समय दस्तावेजों में गांजा और फोन की बैटरी लेकर पहुंचा. जांच के दौरान जेल रक्षकों को उस पर संदेह हुआ. दस्तावेजों का फोल्डर खंगालने पर 51 ग्राम गांजा और मोबाइल फोन की 15 बैटरी बरामद हुई. तुरंत धंतोली पुलिस को जानकारी दी गई. इस घटना से पुलिस विभाग में भी खलबली मच गई. कड़ी सुरक्षा के साथ मोका के आरोपियों की कोर्ट में पेशी होती है. ऐसे में उसे गांजा और फोन की बैटरी की फाइल किसने और कब दी यह भी बड़ा सवाल है. पुलिस ने खापरखेड़ा के चर्चित अपराधी सूरज कन्हैयालाल कावले (22) के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

    2019 में लगा था मोका

    उल्लेखनीय है कि जुलाई 2019 में ग्रामीण पुलिस ने सूरज सहित उसके साथी सुदामा मधुकर चापाडहाके, राहुल प्रेमलाल राऊत, विवेक रामभाऊ वरणकर, शुभम ऊर्फ शेरू अशोक उईके और 2 नाबालिगों के खिलाफ मोका के तहत कार्रवाई की थी. आरोपियों के खिलाफ डकैती, लूटपाट, चोरी, सेंधमारी आर्म्स एक्ट सहित कई गंभीर मामले दर्ज है. 19 जुलाई 2019 से सभी आरोपी जेल में बंद थे. उनकी समय-समय पर कोर्ट में पेशी होती थी. सोमवार की सुबह भी आरोपियों को पेशी के लिए मोका की विशेष अदालत में ले जाया गया. आरोपियों के साथ बाकायदा सशस्त्र पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए थे. दोपहर 2 बजे के दौरान आरोपी पेशी से वापस जेल लौटे. सूरज के हाथ में दस्तावेजों का फाइल फोल्डर था. अपने प्रकरण से जुड़े दस्तावेज या आरटीआई संबंधी दस्तावेज साथ रखने का अधिकार न्यायप्रविष्ट कैदियों को होता है.

    दस्तावेजों के फोल्डर का किया उपयोग

    जेल के मेन गेट से भीतर प्रवेश करते ही सबकी तलाशी ली जाती है. सूरज के पास फोल्डर था. जेल रक्षक ने उसकी जांच की तो फाइल की तुलना में वजन ज्यादा लग रहा था. उसने अन्य साथियों को जानकारी दी. पूरे फोल्डर को खंगाला गया तो सभी आश्चर्यचकित रह गए. सूरज ने 2-2 पन्नों के बीच में गांजे की पुड़िया और मोबाइल फोन की बैटरी चिपका रखी थी. खबर मिलते ही एसपी जेल अनूप कुमरे सहित आला अधिकारी वहां पहुंचे. धंतोली पुलिस को जानकारी दी गई. इंस्पेक्टर प्रभावती एकुरके भी अपनी टीम के साथ जेल पहुंची. जांच करने पर 51 ग्राम गांजा और 15 बैटरी बरामद हुई. धंतोली पुलिस ने सारा माल जब्त कर लिया. आरोपी सूरज के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. प्रकरण में अन्य आरोपियों की भूमिका का भी पता लगाया जा रहा है. 

    आरोपी सेल के कर्मचारियों की जांच

    जेल से आरोपियों को न्यायालय में पेशी के लिए ले जाने और वापस जेल पहुंचाने की जिम्मेदारी आरोपी सेल की होती है. इसके लिए विशेष टीम बनाई गई है. मोका के प्रकरणों में तो आरोपियों के साथ सशस्त्र पुलिस जवान तैनात किए जाते है. मोका न्यायालय के आस-पास भी कड़ी सुरक्षा होती है. ऐसे में सूरज से कौन-कौन मिला. किसने उसके हाथ में दस्तावेजों का फोल्डर दिया. जब उसे दस्तावेज दिए गए तो उसकी जांच हुई या नहीं. इन सभी मुद्दों पर आगे जांच होने वाली है. प्रकरण को लेकर आरोपी सेल के कर्मचारियों की भूमिका संदेहास्पद बन गई है. साथ तैनात किए गए कर्मचारियों की भी जांच की जाएगी.

    15 बैटरी तो मोबाइल कहां?

    सबसे बड़ा सवाल यह है कि आरोपी के पास केवल मोबाइल की 15 बैटरी मिली. मोबाइल नहीं थे बगैर मोबाइल के बैटरी किस काम की रह जाएगी. इससे साफ है कि या तो जेल में पहले से मोबाइल फोन है या तो आरोपी भविष्य में बैटरी की तरह मोबाइल भी ले जाने वाले थे. साफ है कि गोली बगैर बंदूक के नहीं चलाई जा सकती. यदि फायर करना है तो पिस्तौल जरूरी है. उसी तरह बैटरी का उपयोग मोबाइल के बिना व्यर्थ है तो क्या जेल में पहले से ही मोबाइल उपलब्ध है. इसकी जांच तो जेल प्रशासन ही कर सकता है लेकिन इस घटना ने जेल के बाहर और भीतर सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिए है. इसके पहले भी नागपुर सेंट्रल जेल पूरे देश में चर्चा का केंद्र बनी रही है.