Samruddhi Express work, Wardha (2)

  • 36 माह में बन गया पूर्वांचल एक्सप्रेस वे

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नागपुर. विदर्भ की समृद्धि को बढ़ाने के लिए 2015 में समृद्धि महामार्ग बनाने की घोषणा की गई. तब प्रोजेक्ट को लेकर लोग उत्साह से भर गए थे. डेडलाइन 36 माह का रखा गया था. लागत तब 30-35 हजार करोड़ आंकी गई थी. जमीन अधिग्रहण हुआ. निर्माण कार्य भी चला लेकिन निर्माण कार्य की चाल कछुआ गति से होने लगी. जहां लोगों की अपेक्षाएं धुमिल हुई वहीं प्रोजेक्ट कास्ट बढ़कर 50,000 करोड़ तक पहुंच गया. समृद्धि को शुरू करने की घोषणा कई बार हो चुकी है और हर बार फेल भी हुआ है. अब 30 दिसंबर-21 तक इसे हर हाल में करने का दंभ मंत्री एकनाथ शिंदे ने भरा है.

लोग इस तारीख का भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इस बार तारीख फेल होती है, तो निश्चित रूप से विदर्भ के लोगों को भारी निराशा का सामना करना पड़ेगा. इसमें कोई संदेश नहीं है कि समृद्धि प्रोजेक्ट की कल्पना काफी समृद्ध रूप से की गई है. हर पहलू का ध्यान रखा गया है. लोगों के समक्ष ‘पूरी थाली’ परोसने का टर्गेट है लेकिन यह भी सच्चाई है कि भूख लगने पर ‘थाली’ मिले तो आनंद दोगुना होता है. 701 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट का शिर्डी तक का काम अधिकारियों के अनुसार तेज गति से चल रहा है. कई पैच में कार्य पूर्ण भी हो चुके हैं लेकिन बीच-बीच में कई जगह अपूर्ण कार्य तेजी पर ब्रेक लगा रहे हैं.

अमरावती फिनिशिंग टच पर, एंट्री प्वाइंट तैयार नहीं

महाराष्ट्र सड़क विकास महामंडल (एमएसआरडीसी) को समृद्धि महामार्ग तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. अब तक 30,000 करोड़ रुपये खर्च भी किए जा चुके हैं. 35,000 से अधिक मजदूरों को कार्य पर लगाया गया है. कई पैचेज में बांटकर इसे बनाया जा रहा है. अमरावती रेंज का काम लगभग पूरा हो चुका है और फिनिशिंग टच दी जा रही है, वही अकोला रेंज का कार्य अभी भी काफी बचा हुआ है. नागपुर एंट्री प्वाइंट है. एंट्री प्वाइंट ही अब तक बनकर तैयार नहीं है. शंका करना इसलिए जायज भी है. एंट्री बेहतरीन होगा तो अंजाम भी बेहतर होगा. वर्तमान स्थिति को देखकर लगता है कि अभी भी काफी काम बाकी है. नागपुर रेंज के काम में भी विलंब होना सभी को आश्चर्य में डालता है. 

एक भी NH पूर्ण नहीं 

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के आरंभ होने के बाद एक दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है. जिसमें दावा किया गया है कि 2002 से 2016 के बीच महाराष्ट्र राज्य में एक भी एक्सप्रेस वे नहीं बन पाया है, जबकि उत्तरप्रदेश में कई एक्सप्रेस वे बनकर तैयार हो गए हैं. उत्तरप्रदेश में 1,300 किलोमीटर, जबकि महाराष्ट्र में 1000 किलोमीटर का प्रोजेक्ट है. राज्य में मुंबई से दिल्ली के बीच भी सुपर एक्सप्रेस वे का निर्माण हो रहा है, जो अभी तक अपूर्ण है. इसके जल्द खुलने की संभावना जताई जा रही है. इसी प्रकार नागपुर-हैदराबाद, नागपुर-दिल्ली के बीच भी इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को मंजूरी दी गई है. समृद्धि की कार्यशैली देखने के बाद लोगों का उत्साह ठंडा पड़ जाता है.

शिर्डी तक तो खोल दो

विदर्भ के नागरिकों की अपेक्षा है कि कम से कम बाबा के दरबार शिर्डी तक 30 दिसंबर तक महामार्ग खुल ही जाना चाहिए. हजारों श्रद्धालु नए साल में समृद्धि से दरबार तक पहुंच सकेंगे. अपने साथ-साथ समृद्धि के पूर्ण होने की दुआ कर सके. ताकि अगले वर्ष समृद्धि की पहुंच मुंबई तक हो सके.

एक नजर में समृद्धि

35,000 करोड़ आरंभिक लागत

55,000 करोड़ हुई वर्तमान लागत

39,000 करोड़ अब तक खर्च

701 किलोमीटर लंबाई

6 लेन की सड़कें

502 किलोमीटर दिसंबर तक शुरू करने का लक्ष्य 

701 किलोमीटर 2022 तक होगा पूर्ण