rtmnu

Loading

नागपुर. नागपुर विश्वविद्यालय में आदिवासी संशोधन व प्रशिक्षण संस्थान (टीआरटीआई) पुणे द्वारा संचालित प्री-एग्जामिनेशन ट्रेनिंग सेंटर (पीईटीसी) में 5 महीने बाद समन्वयक, लिपिक सहायक की नियुक्ति की गई लेकिन केंद्र में केवल अर्थशास्त्र विभाग से संबंधितों का ही चयन किये जाने से सवाल उठने लगे हैं. आदिवासी छात्रों को यूपीएससी व एमपीएसी की तैयारी पूर्व प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके लिए संस्था द्वारा केंद्र चलाने के लिए हर वर्ष 34 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है. केंद्र में 25 छात्रों को प्रवेश मिलता है.

इसके लिए संस्था ने विवि के साथ करार किया है. पिछले 5 महीनों से केंद्र में इंटरनेट, वाईफाई, पुस्तक, टेस्ट सिरीज की सुविधा नहीं मिल रही थी. इस वजह से कई छात्रों ने केंद्र में आना ही बंद कर दिया. इसके साथ ही केंद्र में समन्वयक, लिपिक सहायक, गार्ड की भी नियुक्ति नहीं की गई थी. छात्रों द्वारा शिकायत करने के बाद संस्थान ने पद भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया. इस बीच केंद्र के प्रभारी संचालक अर्थशास्त्र विभाग प्रमुख सत्यप्रिय इंदूरवाडे की जगह प्राणीशास्त्र विभाग के प्रा. मसराम को जिम्मेदारी सौंपी गई.

पदों पर नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों को वाट्सएप पर मैसेज भेजे गये. साथ ही चयन होने के बाद नियुक्ति के संबंध में भी वाट्सएप का ही इस्तेमाल किया गया. सभी पदों पर अर्थशास्त्र विभाग के ही लोगों का चयन किया गया. नियमानुसार उम्मीदवारों के चयन के बाद सूची विवि की वेबसाइट या केंद्र में लगाई जानी थी लेकिन एक प्राध्यापक को समन्वयक और एक कर्मचारी के बेटे को लिपिक बना दिया गया. यही वजह है कि चयन प्रक्रिया को सवाल उठाये जा रहे हैं.