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    नागपुर. वर्तमान में निजी सुरक्षा एजेंसियों का बोलबाला है. न केवल प्राइवेट बल्कि शासकीय कार्यालयों में भी निजी एजेंसी के सुरक्षा रक्षक रखे जा रहे हैं लेकिन इनका वेतन इतना कम है कि परिवार को चलाना भी मुश्किल हो गया है. शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में यूनिटी सिक्योरिटी एजेंसी के 99 गार्ड तैनात है. यह गार्ड तीन शिफ्ट में अपनी सेवा देते हैं लेकिन वेतन के तौर पर महज 6,000 रुपये ही मिलते हैं.

    महंगाई के इस दौर में इतने कम वेतन में घर का खर्च भी मुश्किल हो गया है. इसके बावजूद सप्ताह में एक दिन भी छुट्टी ही मिलती. यानी महीनेभर सतत रूप से ड्यूटी करना पड़ता है. कुछ सुरक्षा रक्षक डबल ड्यूटी करते हैं, ताकि दो पैसे ज्यादा मिल सके. इससे उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. वेतन बढ़ाने के लिए एजेंसी से कहने पर उल्टा जवाब मिलता है. नौकरी जाने के डर से कोई भी आवाज तक नहीं उठाता. बताया जाता है कि सरकार की ओर से एजेंसी को एक गार्ड के वेतन की करीब डबल रकम मिलती है लेकिन उन्हें आधा ही दिया जाता है.

    अडेंटेंड की भी यही अवस्था 

    सुरक्षा रक्षकों की तरह ही अडेंटेंट के लिए आऊट सोर्स किया गया है. अभीजित कंपनी के अडेंटेंड मेडिकल में रखे गये हैं. इनकी भी तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है. जबकि इन्हें भी करीब 6,000 रुपये वेतन मिलता है. पिछले वर्ष कोरोना काल में अडेंटेंड ने वेतन वृद्धि की मांग करते हुए काम बंद करने की चेतावनी दी लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. वार्डों सहित ओपीडी, ओटी में मदद करने वाले अडेंटेंड भी वेतन वृद्धि की आस में है.