नागपुर. गैर सम्पदा जमा किए जाने का हवाला देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से न केवल मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत सम्पत्ति जब्त की गई, बल्कि सम्पत्ति से निष्कासन को लेकर नोटिस जारी किया गया. इसे चुनौती देते हुए आनंद पार्डीकर की ओर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश एमएस सोनक और न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से जारी निष्कासन नोटिस पर रोक लगा दी. साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को भी सम्पत्ति में किसी अन्य की भागीदारी नहीं करने के आदेश दिए.
विशेषत: प्रवर्तन निदेशालय की ओर से जांच के बाद 28 फरवरी 2020 को सम्पत्ति जब्ती का प्रोविजनल नोटिस जारी किया था. इस पर 27 अगस्त को मुहर भी लगा दी गई. सम्पत्ति जब्ती के बाद ईडी की ओर से सम्पत्ति अपने अधिकार में लेने के लिए 20 अक्टूबर 2021 को निष्कासन का नोटिस जारी किया गया.
ट्रीबुनल में सुनवाई के लिए कोई नहीं
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि सम्पत्ति जब्ती के आदेश को चुनौती देकर धन शोधन निवारण कानून-2002 के अनुसार अपीलेट ट्रीबुनल के समक्ष अपील दायर करने का प्रावधान है. किंतु सुनवाई करने वाले अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने से ट्रीबुनल की कार्यवाही पूरी तरह ठप है. याचिकाकर्ता की ओर से रखी गई इस दलील पर संबंधित विभाग से जानकारी लेकर अदालत के समक्ष रखने के लिए केंद्र सरकार के वकील को आदेश दिए गए थे. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि निश्चित ही इस आदेश के खिलाफ अपील का प्रावधान है किंतु वर्तमान में प्राधिकरण कार्यरत नहीं है.
यथास्थिति बनाए रखें
सुनवाई के दौरान असि. सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि इस संदर्भ में 13 दिसंबर को केंद्र सरकार का जवाब दायर किया जाएगा. साथ ही इसकी प्रति प्रतिवादी पक्ष को उपलब्ध कराई जाएगी. केंद्र सरकार की ओर से दी गई दलील के बाद अदालत ने अगले आदेश तक निष्कासन नोटिस पर रोक लगा दी. अदालत ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता भी यथास्थिति बनाए रखें. जो सम्पत्ति जब्त की गई उसमें किसी त्रयस्थ का अधिकार या बेचने के संदर्भ में कोई प्रक्रिया न करें. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से यथास्थिति बनाए रखने की शर्त का पालन करने का आश्वासन दिया गया. दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने 20 दिसंबर तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.