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    • 67 लाख का उजागर हुआ था घोटाला
    • 03 करोड़ के पार पहुंची धांधली

    नागपुर. मनपा में दिसंबर में उजागर हुए 67 लाख के स्टेशनरी घोटाले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. नियमों के अनुसार 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दायर करने का मसला होने के कारण मनपा की मंजूरी के बाद आर्थिक अपराध अन्वेषण विभाग ने जिला सत्र न्यायालय में 1,800 पन्नों की चार्जशीट दायर की.

    सूत्रों के अनुसार 67 लाख से शुरू हुआ घोटाला जांच के बाद 3 करोड़ से अधिक तक पहुंच गया है. इसमें स्टेशनरी सप्लाई करने वाली कम्पनी के मालिक कोलबा साकोरे, प्रवीण साकोरे, सामान्य प्रशासन विभाग के मोहन पडवंशी, मोहम्मद आफाक अहमद, मुख्य लेखा अधिकारी राजेश मेश्राम और प्रशांत भातकुलकर को गिरफ्तार किया गया. इनके खिलाफ अब पुलिस विभाग ने चार्जशीट दायर की है. 

    दायर हो सकती है एडिशनल चार्जशीट

    सूत्रों के अनुसार भले ही अब तक हुई जांच और उसमें गिरफ्तार आरोपियों की लिप्तता को लेकर पुलिस की ओर से चार्जशीट दायर की गई हो लेकिन पूरे मामले में कई लोगों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है. चार्जशीट में ही पुलिस ने इस संदर्भ में संकेत दिए हैं. माना जा रहा है कि आर्थिक अपराध अन्वेषण विभाग की ओर से पुन: एडिशनल चार्जशीट दायर की जा सकती है.

    स्टेशनरी घोटाला उजागर होने के बाद से ही प्रशासकीय जांच और मनपा की सभा द्वारा बनाई गई ठाकरे समिति की जांच पर संदेह जताया जा रहा था. माना जा रहा था कि पूरे मामले को मोड़ने के लिए ही छोटे-छोटे कर्मचारियों की लिप्तता दिखाई की जा रही है, जबकि बड़े अधिकारियों को इसमें बचाने का प्रयास हो रहा है. बड़े अधिकारियों की जानकारी के बिना इस तरह के घोटाले को अंजाम देना संभव नहीं है. 

    …तो बड़े अधिकारियों की भी गिरफ्तारी

    सूत्रों के अनुसार भले ही मनपा में इसकी जांच पुख्ता न हुई हो लेकिन पुलिस पूरे मामले की गहराई तक पहुंचने का प्रयास कर रही है. जन्म व मृत्यु विभाग, लाइब्रेरी विभाग, स्वास्थ्य विभाग, घनकचरा विभाग एवं अन्य विभागों में हुए घोटालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है जिसमें मनपा के बड़े अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर संदेह की सुई अटकी हुई है. पुख्ता सबूत हाथ लगते ही इन बड़े अधिकारियों की गिरफ्तारी होने की संभावना जताई जा रही है. 

    वित्तीय लेन-देन में कई खुलासे

    • स्टेशनरी घोटाले में हुए वित्तीय लेन-देन को खंगालने के बाद कई खुलासे किए गए थे. स्वास्थ्य विभाग में बिना प्रावधान 131 बिल के अदा किए गए जिनमें कम्पनी को 2.14 करोड़ का भुगतान किया गया. 
    • इसी तरह से घनकचरा व्यवस्थापन में 33 बिलों के लिए 1.22 करोड़, जन्म-मृत्यु विभाग में 40 बिलों के लिए 60.76 लाख और लाइब्रेरी विभाग में बिना प्रावधान के 47 बिलों के लिए 74.29 लाख रु. अदा किए गए. इस तरह से कुल 251 बिलों के लिए कम्पनियों को 4.69 करोड़ का भुगतान किया गया है.
    • इसके अलावा जन्म-मृत्यु विभाग की स्टेशनरी के लिए सामान्य प्रशासन विभाग के खाते से भुगतान किया गया जिसमें बिना प्रावधान 8 बिलों के लिए 68.40 लाख का भुगतान किया गया. 
    • कुल 259 बिलों के लिए 5.41 करोड़ का भुगतान किया गया किंतु कम्पनियों से 1.17 करोड़ की निधि वसूल भी की गई. साथ ही 41.51 लाख रु. की सप्लाई के बिल नहीं दिए गए जिससे 3.82 करोड़ का नुकसान मनपा को उठाना पड़ रहा है.