वेतन को तरस रहे हैं सफाई कर्मी, 6 घंटे बंद रहा काम, 25 को आंदोलन की तैयारी

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नागपुर. एक ओर केन्द्र सरकार महिला आरक्षण  के लिए संसद में बिल पास किया है. दूसरी तरफ, मध्य रेल नागपुर मंडल के तहत ठेके पर काम कर रही महिला सफाई कर्मियों को 45 दिनों का वेतन नहीं दिया गया है. प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली में सफाई कर्मियों के पैर धोते हैं लेकिन रेलवे के सफाई ठेकेदार पुरुष सफाईकर्मियों और उनके परिवारों को भूखे मारने पर तुले है. ऐसे में नागपुर यार्ड में ट्रेनों की सफाई करने वाले 60 से अधिक महिला व पुरुष सफाई कर्मियों ने सफाई ठेका कंपनी एमएस सपोर्ट, दिल्ली के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए शुक्रवार को काम बंद आंदोलन किया. करीब 6 घंटे तक किसी ट्रेन की सफाई नहीं की गई. हालांकि जेई और एसएसई अधिकारियों का मान रखने के लिए सफाई कर्मियों ने 25 सितंबर तक वेतन न मिलने पर सोमवार से अनिश्चितकालीन काम बंद करने की शर्त के साथ दोपहर 2.30 बजे से काम शुरू कर दिया. इस बीच कई यात्री ट्रेनें की धुलाई-सफाई नहीं हो सकी.

700 की बजाय 450 रुपये ही

सफाई कर्मियों ने एक स्वर में बताया कि सितंबर समाप्त होने आ रहा है लेकिन उन्हे अगस्त माह तक का वेतन नहीं दिया गया है. कंपनी के पास 60 से अधिक सफाई कर्मी कार्यरत हैं. इनमें 30 से अधिक महिलायें हैं. सरकार ने प्रति सफाई कर्मी 700 रुपये प्रतिदिन मेहनताना तय कर रखा है लेकिन उक्त एमएस सपोर्ट कंपनी केवल 450 रुपये के हिसाब से वेतन देती है. पिछले डेढ़ वर्षों से यही सिलसिला जारी है. डेढ़ महीने से वेतन न मिलने पर घर चलाने के लिए भीख मांगने की नौबत आ चुकी है.

DRM ऑफिस में नहीं होती सुनवाई

महिलाकर्मियों ने रोष जताते हुए कहा कि एक ओर सरकार आरक्षण देकर महिलाओं को सम्मान देने का दावा कर रही है. लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि हमारी सुनी ही जाती. उक्त कंपनी काफी पहले से सफाई कर्मियों का शोषण कर रही है लेकिन मंडल प्रबंधन कार्यालय के किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने हमारी परेशानी का हल निकालने में रुचि नहीं दिखाई. कंपनी ने पिछले शनिवार को ही ठेका सबमिट करके काम बंद करने का आवेदन दिया था लेकिन मंडल प्रबंधन ने स्वीकार नहीं किया. ऐसे में कंपनी को मजबूरन काम जारी रखना पड़ा है. ये कंपनी और मंडल प्रबंधन के बीच का मामला है लेकिन सजा 60 से ज्यादा सफाई कर्मी भुगत रहे हैं.