नागपुर. मनपा में भले ही कुछ समय के लिए ही आयुक्त के रूप में मुंढे की नियुक्ति रही हो लेकिन पूरा कार्यकाल सत्तापक्ष के साथ संघर्ष के रूप में गूंजता रहा. सत्तापक्ष से उनके संघर्ष का आलम यह रहा कि कोरोनाकाल में उनकी कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़े करते हुए पहली बार महानगरपालिका की महासभा का संचालन लगातार 5 दिन चलता रहा. हालांकि उसका कोई निष्कर्ष तो नहीं निकल पाया, अलबत्ता वह संघर्ष अभी तक जारी है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुंढे के कार्यकाल में कोरोना से निपटने के लिए कंटेनमेंट जोन बनाते समय अलग-अलग जोन में बैरिकेड लगाए गए थे. आपात स्थिति में ठेकेदारों को इसके कार्यादेश दिए गए थे. मुंढे के चले जाने के बाद इन ठेकेदारों की निधि अटका हुई है जिसके भुगतान के लिए निधि को मंजूरी देने का प्रस्ताव मंगलवार को हुई स्थायी समिति के समक्ष रखा गया. इसे स्थायी समिति ने मंजूरी से साफ इनकार कर दिया.
ठाकरे समिति के पास भेजा प्रस्ताव
स्थायी समिति सभापति प्रकाश भोयर ने कहा कि सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग ने 4 करोड़ रुपए का पुनर्विनियोजन करने की सिफारिश करते हुए प्रस्ताव भेजा था. प्रस्ताव के अनुसार कोरोना के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए शहर के सभी जोन में आवश्यकता अनुसार बैरिकेडिंग और अन्य व्यवस्था करने के लिए बजट के आपातकालीन या आकस्मिक खर्च के खाते से इसका खर्च किया जाना है. इसके अलावा आयुक्त ने जिस खाते से भी पूर्व मान्यता दी हो, उस खाते से खर्च का नियोजन करने का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया था. वित्त विभाग ने कटिबद्ध राजस्व खर्च के प्रावधान अंतर्गत खाते में 7.25 करोड़ रु. उपलब्ध होने की जानकारी उजागर की. इस प्रावधान में से 4 करोड़ रु. की उपलब्धता संभव होने का उल्लेख किया था. अत: समिति के समक्ष प्रस्ताव मंजूरी के लिए रखा गया. चर्चा के बाद सभापति ने स्टेशनरी घोटाले की जांच के लिए बनी ठाकरे समिति के पास प्रस्ताव भेज दिया.
भुगतान पर लग जाएगा ग्रहण
सूत्रों के अनुसार स्टेशनरी घोटाले की जांच के लिए महापौर की ओर से जांच समिति गठित करने के निर्देश तो जारी किए गए किंतु अब तक समिति नहीं बन पाई है. नियमों के अनुसार अब तक कोई समिति ही नहीं बनने के बावजूद बैरिकेड का मामला सत्तापक्ष नेता ठाकरे के पास भेज दिया गया है. जानकारों के अनुसार स्टेशनरी घोटाले को लेकर समिति बन भी गई तो निकट भविष्य में मनपा के आम चुनावों को लेकर आचार संहिता लगने के बाद जांच ही अधर में रह जाएगी. वहीं दूसरी ओर अब बैरिकेड का मामला उठ रहा है. इस तरह से मामला उलझ जाने पर भुगतान पर ग्रहण लगने की आशंका सूत्रों ने जताई.