Nagpur High Court
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नागपुर. बाबुलखेड़ा स्थित एनआईटी की जमीन पर फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद ट्रस्ट के विभागीय अधिकारी पंकज पाटिल की शिकायत पर अजनी पुलिस ने एफआईआर दर्ज की. इसे रद्द करने के लिए आरोपित सतीश उके बंधुओं की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के दौरान नेट कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण फिर एक बार फिर हाई कोर्ट को सुनवाई टालनी पड़ गई.

उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी जेल में इंटरनेट की समस्या होने के कारण सुनवाई टाली गई थी. इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए इसे सुनिश्चित करने के आदेश दिए थे किंतु पुन: समस्या होने के कारण न्यायाधीश विनय जोशी और न्यायाधीश वाल्मिकी मेनेजेस ने एक सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.

जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो रही सुनवाई

उल्लेखनीय है कि मामले में जेल में बंद याचिकाकर्ता सतीश उके द्वारा स्वयं जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा जा रहा है. सेंट्रल जेल में कनेक्टिविटी की समस्या होने के कारण गत समय सुनवाई नहीं हो पाई थी. गत सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता उके का मानना था कि उनकी ओर से हाई कोर्ट में एक अन्य फौजदारी याचिका भी दायर की गई है. याचिका पर आदेश के लिए अदालत के समक्ष रखने की अनुमति भी मांगी गई. सुनवाई के बाद अदालत ने उके के अनुरोध पर दूसरी याचिका सुनवाई के लिए रखने के आदेश दिए. विशेषत: दूसरी याचिका का मामला सदर पुलिस में दर्ज किया गया है. याचिका में अभिजीत हांडे, सीपी और आर्थिक अपराध शाखा के उपायुक्त को प्रतिवादी बनाया गया है. 

4,100 वर्ग मीटर जमीन का मामला

अभियोजन पक्ष के अनुसार बाबुलखेड़ा स्थित खसरा नंबर 82/2 के उत्तर में स्थित 4,100 वर्ग मीटर जमीन कब्जे से संबंधित लोगों की जानकारी पुलिस विभाग ने एनआईटी से मांगी थी. एनआईटी के अधिकारियों ने जमीन से संबंधित पूरा रिकॉर्ड खंगाला जिसमें पता चला कि जमीन पहले यूएलसी में आरक्षित थी. किंतु बाद में अतिरिक्त होने के कारण पूरी जमीन एनआईटी के कब्जे में चली गई.

जांच के दौरान एनआईटी अधिकारियों ने पाया कि यहां पर 34 प्लॉट पर मकान बन चुके थे जिसमें से 26 प्लॉटधारकों ने नियमितीकरण के लिए आवेदन भी किया था. बचे 12 प्लॉटधारकों को श्रीरंग गृह निर्माण सोसाइटी के अध्यक्ष सुभाष बघेल ने बिक्रीपत्र कर बेच दिया था. वहीं चंद्रशेखर मते ने जमीन के मूल मालिक ढवले परिवार से पावर ऑफ अटॉर्नी लेकर उके बंधुओं को जमीन बेच दी थी. फर्जीवाड़ा उजागर होने पर एनआईटी अधिकारी ने अजनी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.