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नागपुर. नागपुर पुलिस के निरीक्षक रितेश अहेर ने साइबर अपराधियों के रैकेट का भंडाफोड़ किया. साइबर अपराधी लोगों को लिंक भेजकर खाते से रकम उड़ा लेते हैं. अहेर की रिपोर्ट के मुताबिक यह ‘काला’ पैसा सिलेंडर बुकिंग के जरिए ‘सफेद’ किया जाता है. साइबर अपराधियों के कई गिरोह झारखंड, जामतारा, दिल्ली, नोएडा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सक्रिय हैं. यह गिरोह अधिकतर बीएसएनएल कंपनी के सिम कार्ड का इस्तेमाल करने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों को निशाना बनाता है. इसके मद्देनजर अहेर ने नागपुर में कुछ शिकायतों का बारीकी से अध्ययन किया जहां साइबर अपराधियों ने पीड़ितों से धोखाधड़ी की.

जांच के दौरान खुलासा हुआ कि साइबर अपराधी ने इंडिटैब नामक थर्ड पार्टी एप के जरिए लूटी गई रकम एक गैस एजेंसी के खाते में जमा करा दी. इस रकम से 150 खाली गैस सिलेंडर रिफिल कराए गए. साथ ही कुछ राशि टाटा पावर, जयपुर बिजली वितरण कंपनी और अदानी इलेक्ट्रिक जैसी कंपनियों को ट्रांसफर की गई.

इस तरह हुआ खुलासा

अहेर ने एक गैस सिलेंडर रिफिलिंग कंपनी से पत्राचार किया. वहां की गैस एजेंसी की जानकारी निकाली. एजेंसी के अधिकारी से साइबर अपराधी द्वारा खाते में जमा की गई राशि के बारे में पूछताछ की. साथ ही सिलेंडर रिफिल करने की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी ली. इसके अलावा सिलेंडर रिफिल करवाने वाले एक ग्राहक के मामले का अध्ययन किया. इसमे पाया गया कि आधार कार्ड भारत-नेपाल सीमा के व्यक्ति के नाम से और मोबाइल नंबर बंगाल के व्यक्ति से जुड़ा हुआ था. अहेर ने पूरे मामले की जानकारी केंद्र सरकार को दी. 

1 व्यक्ति के नाम केवल 1 सिलेंडर

अहेर द्वारा भेजी गई इस जानकारी पर सरकार ने गंभीरता से विचार किया. इससे पता चला कि गैस कंपनियों की कड़ी साइबर अपराधियों से जुड़ी हुई थी. इस कारण गैस सिलेंडर ग्राहकों के लिए मोबाइल पर ओटीपी देना और सिलेंडर प्राप्त होने का संदेश भेजना अनिवार्य कर दिया गया. अब एक ग्राहक के नाम पर केवल एक ही सिलेंडर जारी किया जाता है. इस जांच की रिपोर्ट को राष्ट्रीय स्तर पर (सीसीटीएनएस हॅकेथॉन) ई-रक्षा पुरस्कार प्रतियोगिता में प्रस्तुत किया गया जहां इस रिपोर्ट को देश में तीसरा स्थान दिया गया. यह पुरस्कार मुंबई पुलिस उपायुक्त डॉ. रश्मि करंदीकर एवं पुलिस निरीक्षक रितेश अहेर (नागपुर पुलिस) के नाम पर घोषित किया गया.