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नागपुर. जिला परिषद कर्मचारियों को हर महीने की 1 तारीख को वेतन मिलने का नियम है लेकिन लंबे अरसे से उन्हें कभी 1 तो कभी 2-2 महीने विलंब से वेतन मिल रहा है. वेतन की लेटलतीफी से उन्हें दिक्कतें आ रही हैं. महाराष्ट्र राज्य जिला परिषद कर्मचारी महासंघ ने स्थानीय प्रशासन द्वारा बार-बार निवेदन किए जाने के बावजूद जब किसी तरह का सुधार नहीं किया गया तो ग्राम विकास मंत्रालय से शिकायत की.

मंत्रालय के उपसचिव आरपी भोईर ने 6 सितंबर को आदेश जारी कर जिप सीईओ को किसी भी सूरत में महीने की 5 तारीख तक वेतन भुगतान सुनिश्चित करने के लिए क्या नियोजन किया है, यह स्पष्ट कर 15 सितंबर तक रिपोर्ट मांगी है. भोईर ने महासंघ की शिकायत का हवाला देते हुए सीईओ को लिखा है कि वेतन की लेटलतीफी के चलते कर्मचारियों को होम लोन, बच्चों की फीस, मकान किराया, परिवार के बीमार सदस्यों के उपचार समय पर करने में दिक्कत हो रही है. महासंघ ने हर महीने की 5 तारीख तक किसी भी हालत में वेतन करने की मांग की है.

विभाग प्रमुखों को दिए शेड्यूल पर अमल नहीं

जानकारी के अनुसार, कर्मचारियों की शिकायतों पर संज्ञान लेकर सीईओ सौम्या ने 23 अगस्त को ही सभी विभाग प्रमुखों को अपने विभाग के कर्मचारियों के वेतन बिल बनाने का शेड्यूल तय कर दिया था, ताकि वेतन का भुगतान 1 तारीख को ही हो जाए. महासंघ की शिकायत है कि बावजूद इसके उस पर विभाग प्रमुखों द्वारा अमल नहीं किया जा रहा है. सीईओ ने वेतन बिल तैयार करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को हर महीने की 16 तारीख, कृषि व जलापूर्ति विभाग को 17, सिंचाई व महिला व बाल कल्याण विभाग को 18, पशु संवर्धन व बांधकाम विभाग को 19, स्वास्थ्य विभाग को 20 और शिक्षा विभाग 21 तारीख तक वेतन बिल तैयार कर वित्त विभाग को भेजने के निर्देश दिये थे. वित्त विभाग को निर्देश दिया था कि विभागों से बिल मिलते ही उसे कोषागार में भेजा जाए, ताकि 1 तारीख को वेतन सुनिश्चित हो सके. विभागनिहाय रिपोर्ट उन्होंने हर महीने की 25 तारीख तक उनके कार्यालय में पेश करने के निर्देश भी दिये थे. 

ऑनलाइन सिस्टम के बाद से ही परेशानी

इधर, कर्मचारियों का कहना है कि जब जिप स्तर पर वेतन होता था तो कोई परेशानी नहीं थी. जब से ऑनलाइन सिस्टम लागू हुआ है, वेतन बिल बनाने का प्रोसेस लेंदी हो गयी है. पहले मेनुअल बनाकर उसे ऑनलाइन अपलोड किया जाता है. फिर ट्रेजरी में भेजा जाता है जहां स्टाफ की कमी होने के चलते लेटलतीफी होती है.

यह भी बताया गया कि सबसे बड़ा कारण यह कि सरकार से सेलरी ग्रांट समय पर नहीं आता जिसके चलते वेतन भुगतान में देरी हो रही है. वहीं एक पदाधिकारी ने कहा कि सरकार के पास वेतन भुगतान के लिए पैसे नहीं हैं इसलिए तो शिक्षा विभाग को छात्रों के स्काउट गणवेश के लिए दिए गए 2 करोड़ रुपये वापस मंगवा लिए गए. संबंधित आलाधिकारी ने मौखिक रूप से यह बात कही कि वेतन भुगतान के लिए निधि वापस मंगाई गई है.