नागपुर. जिला परिषद चुनावों के दौरान जिला कांग्रेस ने राजेन्द्र मूलक के नेतृत्व में एकजुटता दिखाई तो भाजपा से सत्ता छीनने में सफलता मिली. जिप में पूर्ण बहुमत से अकेली कांग्रेस सत्तासीन हुई और उसे किसी से आघाड़ी करने की भी जरूरत नहीं. वैसी ही एकजुटता कांग्रेसियों ने पदवीधर चुनावों में महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार अभिजीत वंजारी को जिताने के लिए दिखाई थी. परिणाम यह था कि दशकों से जिस सीट पर भाजपा का कब्जा था उस गढ़ में सेंध लगाने में कांग्रेस सफल हुई.
इन दो भारी सफलताओं ने कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया लेकिन मनपा में महापौर चुनाव में कांग्रेस की गुटबाजी फिर चरम पर आ गई. कांग्रेस के दोनों गुटों ने मेयर के लिए अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिये. शहर विधायक विकास ठाकरे और मनपा में विपक्ष के नेता तानाजी वनवे गुट ने फिर दिखा दिया कि दिल अभी नहीं मिले हैं. जिप व पदवीधर चुनावों में मिली जीत से उत्साहित कार्यकर्ताओं में इस घटना से निराशा देखी जा रही है. कुछ तो कहने लगे हैं कि आगामी मनपा चुनाव में ऐसी ही गुटबाजी रही तो कांग्रेस अपनी लुटिया खुद ही डुबो लेगी.
दो दिनों पहले ही हुआ था मिलन
कांग्रेस के 136वें स्थापना दिवस पर विकास ठाकरे यानी मुत्तेमवार गुट और पालकमंत्री नितिन राऊत गुट को एक साथ देवडिया कांग्रेस भवन में देखा गया था. यहां पालकमंत्री राऊत ने तो यह भी कहा था कि ठाकरे आगामी मनपा चुनाव के लिए वार्डनिहाय कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित करें और उसमें वे स्वयं आने का प्रयास करेंगे. यह भी कहा था कि एकजुटता के बल पर इस बार मनपा पर कांग्रेस का झंडा लहराया जाएगा. लेकिन दो दिनों के बाद ही जब मेयर चुनाव का वक्त आया तो महज 28 सीटों वाली कांग्रेस दो गुटों में बंट गई. दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार खड़े कर दिये. जबकि दोनों ही गुट यह भलिभांति जानते हैं कि कितना भी सिर पटक लें अपना मेयर तो बना नहीं सकते क्योंकि भाजपा के पास 108 पार्षद हैं और कांग्रेस के पास महज 28.
प्रदेश प्रभारी तक पहुंची शिकायत
कांग्रेसी गुटबाजी का मामला प्रदेश प्रभारी तक पहुंच गया है. शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे ने तानाजी वनवे गुट की ओर से मेयर के लिए नामांकन दाखिल करने वाले मनोज कुमार गावंडे के संदर्भ में जानकारी प्रदेश प्रभारी तक पहुंचा दिया गया है. बताते चलें कि मनपा की राजनीति में कांग्रेस शुरू से ही दो फाड़ रही है. पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी, पालकमंत्री नितिन राऊत गुट से तानाजी वनवे को मनपा में गटनेता बनाने के लिए जोर लगाया गया था और मुत्तेमवार गुट की ओर से संजय महाकालकर को गटनेता बनाया गया था. यह विवाद भी काफी रंगा था और कमिश्नर तक पहुंचा था. बाद में तानाजी वनवे को नेता बनाया गया. अब एक बार फिर दोनों गुटों का भीतरी झगड़ा मेयर उम्मीदवार को खड़ा करने के संदर्भ में बाहर आ गया है. अगर कांग्रेस इसी तरह गुटबाजी में रही तो आगामी मनपा चुनाव में जो जीत के सपने देखे जा रहे हैं, उसका सपना चूर हो सकता है.