भर्ती बंद होने से 4 हजार पद खाली, शिक्षा क्षेत्र की समस्याओं के लिए पिछली सरकार जिम्मेदार: शरद पवार

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    नाशिक: एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार (NCP President Sharad Pawar)  सोमवार को उनके मोर्चे पर हमला करने वाले विपक्ष पर हमला बोला। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र (Education Sector) की समस्याओं के लिए पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराया। पवार ने कहा कि पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल में भर्ती की अनुमति नहीं दी थी। कई चीजें जैसी की तैसी रखी थीं। शिक्षण संस्थानों में भर्ती भी बंद कर दी गई थी, इसलिए आज 4,000 पद (Vacancies) खाली हैं। रयत शिक्षण संस्था इस समय अनेक समस्याओं का सामना कर रही है। तभी अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूसरे शिक्षण संस्थानों का क्या हाल होगा।

    उन्होंने छात्रों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए पहल करने की अपील भी की। शरद पवार ने कहा कि शिक्षा का विस्तार करना शासकों की जिम्मेदारी है। महाविकास आघाड़ी के वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल हमारे साथ हैं। हम उनके माध्यम से सरकार से आपकी मांगें करते हैं। पवार ने आश्वासन दिया कि सरकार इस पर संज्ञान लेगी। जब आप मंत्री थे तो शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को लेकर आता था। उनकी मांगों को मानकर करोड़ों रुपए का बोझ आ रहा था। चव्हाण ने मुझसे इस बारे में पूछा कि आप कैबिनेट में क्या काम करना चाहते हैं? मैंने उनसे कहा कि मुझे शिक्षा विभाग से रिहा करो, मुझे कृषि विभाग दो।

    सब्सिडी के समाधान के लिए वित्त निगम की बैठक जरूरी

    शरद पवार ने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों की मांगों को राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। शिक्षण संस्थानों की सब्सिडी की समस्या के समाधान के लिए नगर विकास एवं वित्त निगम के प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक करनी होगी। तभी इस प्रश्न का समाधान निकाला जा सकेगा। कुछ शिक्षा संस्थानों के संचालकों की शिकायत है कि शिक्षा विभाग ज्यादा दखल न दे। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकारी हस्तक्षेप सीमित होना चाहिए, लेकिन यह भी कि संस्थानों के संचालकों के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। 

    महात्मा फुले ने किया शिक्षा के सार्वभौमीकरण का कार्य 

    शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में शिक्षा के विस्तार की जिम्मेदारी एक निश्चित वर्ग के बाद एक निजी शिक्षण संस्थान ने ली। कई ने शिक्षण संस्थान शुरू किए। शिक्षण संस्थान के विस्तार के लिए कार्य किया। कई गणमान्य व्यक्तियों ने शिक्षण संस्थानों का विस्तार किया और ज्ञानोदय का कार्य किया। शिक्षा के सार्वभौमीकरण का कार्य महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने वास्तविक अर्थों में किया। वैज्ञानिक दृष्टिकोण देने का कार्य ज्योतिबा फुले ने किया। महात्मा फुले ने सही अर्थों में शिक्षा को जगाने का कार्य किया।