Crime

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    – मदन बोरसे

    सातपुर : आगामी नासिक महानगरपालिका चुनाव (Nashik Municipal Election) की पार्श्वभूमी पर सातपुर परिसर में लगातार आपराधिक घटनाएं (Criminal Incidents) सामने आ रही है। इसके चलते सातपुर परिसर (Satpur Complex) में अपराधियों (Criminals) का ही डंका होने की बात स्पष्ट हो गई है। परिसर के नागरिक दहशत (Panic) में जी रहे है। वर्चस्व के संघर्ष को लेकर स्थानीय और शातिर बदमाशों ने बीजेपी के बाहुबली नेता और बीजेपी कामगार मोर्चा के पदाधिकारी विक्रम नागरे के मकान पर पथराव करते हुए तीन बार जान लेवा हमला किया। 

    हमला करने वाला कुछ दिन पहले नागरे का कट्टर समर्थक था। उसके खिलाफ खंडणी का मामला दर्ज होने से पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों के साथ नागरिक भी अचंभित हो गए है। इस पूरे मामले में सातपुर पुलिस की भूमिका संदेहात्मक रही। खंडणी का मामला दर्ज करने के लिए पुलिस पर दबाव लाया गया या फिर उन्हें लालच दिखाया गया, जिसे लेकर सातपुर परिसर में अजीबो गरीब चर्चाएं सुनने को मिल रही है। दोनों ओर से अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने से परिसर के नागरिक भयभीत हो गए है। नागरे की छत्रछाया में पलने वाले अपराधी आज उनके ही जान के दुश्मन बन चुके है। दो साल में नागरे को धमकाकर 10 लाख रुपए वसूल किए गए। देरी से नागरे ने शिकायत दर्ज करने के बाद भी सातपुर पुलिस ने दो संदिग्ध के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया। 

    पिछले एक महीने से विक्रम नागरे और अक्षय युवराज पाटिल (रा. श्रमिक नगर) के बीच विवाद शुरू है। अक्षय पहले नागरे का कट्टर समर्थक था। एकाएक दोनों में शुरू विवाद बढ़ गया। क्योंकि नागरे ने समय-समय दी जाने वाली रकम बंद कर दी। इससे क्रोधित हुए अक्षय पाटिल ने नुकीले हथियार से नागरे पर जानलेवा हमला किया, लेकिन नागरे बाल बाल बच गए। परंतु, अक्षय की जमकर पिटाई की गई। इस मामले में नागरे ने पुलिस स्टेशन में शिकायत नहीं की।  कुछ दिनों में अक्षय ने दो बार नागरे पर जान लेवा हमला किया, लेकिन नागरे हर बार बचते रहे। नागरे ने मारपीट की शिकायत करने के बजाए खंडणी मांगने की शिकायत पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई। सातपुर पुलिस ने भी मामला दर्ज करते हुए अक्षय पाटिल और अनिरुद्ध शिंदे कारे गिरफ्तार किया। तुरंत, कार्रवाई होने से पुलिस पर दबाव लाया गया या फिर पुलिस को लालच दिखाया गया? ऐसी चर्चा परिसर के नागरिकों में शुरू है। 

    आपराधिक घटनाओं से भरी है नागरे की पार्श्वभूमी

    महानगरपालिका से बीजेपी तक विक्रम नागरे की राजनीति पार्श्वभूमी है। उनके खिलाफ आज तक गंभीर मामले दर्ज नहीं है, लेकिन अपहरण, मारपीट, जानलेवा हमला ऐसे मामले दर्ज है। औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियों में कामगार संगठन के माध्यम से अपनी झोली भरी, ऐसा आरोप विरोधी कर रहे है। नागरे के खिलाफ पार्टी के कुछ नेता काम कर रहे है। इसके चलते वह परेशान है। हफ्ता वसूली और वर्चस्व को लेकर हुए विवाद के चलते अजय मांगटे और बीजेपी के पदाधिकारी अमोल इघे की हत्या हो चुकी है। शातिर बदमाशों के साथ वाइट कॉलर नेता भी आपराधिक घटनाओं में शामिल है, लेकिन हर बार पुलिस की भूमिका संदेहात्मक रही। कुल मिलाकर नागरे पर हो रहे हमलों के पीछे उनकी आपराधिक घटनाओं की पार्श्वभूमी कहीं ना कहीं जिम्मेदार है।