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    नाशिक : शहर में आने वाले त्योहार के मद्देनजर गुजरात (Gujarat) से भारी मात्रा में मिलावटी मिठाइयां (Sweets) और अन्य खाद्य पदार्थ दुकानों में आए हैं। मिठाई विक्रेता गुजरात से आई ‘खास बर्फी’ (Special Barfi) बेंच रहे हैं। इस खास बर्फी के बारे में कहा जा रहा है कि इस बर्फी को बनाने में उपयोग में लाया जा रहा है खोवा नकली है। चूंकि यह खोवा शहर में उत्पादित खोवे के मुकाबले आधे दाम पर उपलब्ध है, इसलिए मिठाई विक्रेता मिठाई बनाने में नकली खोया का व्यापक रूप से उपयोग कर रहे हैं। 

    मिठाई बनाने के लिए बड़ी मात्रा में एक प्रकार का अनाज का उपयोग किया जा रहा है। एक विकल्प के रूप में मिठाई विक्रेता एक छद्म नाम लेकर आए हैं।  गुजरात के अहमदाबाद क्षेत्र में उत्पादित खोवा का मिठाई बनाने में खुले तौर पर उपयोग किया जा रहा है। मिठाई दुकानदारों की कोड भाषा में इसे ‘स्पेशल बर्फी’ कहा जाता है। 

    पांच सौ रुपए प्रति किलो की दर से मिल रही ‘स्पेशल बर्फी’

    गुजरात से महाराष्ट्र आने वाली इस ‘खास बर्फी’ पर बैन है। कुछ निर्माताओं ने महाराष्ट्र के पास अपने कारखाने शुरू कर दिए हैं। इस भोजन का बड़े पैमाने पर वितरण नेटवर्क, जो राज्य में आसानी से उपलब्ध है, नाशिक में भी सक्रिय किया गया है। यह विशेष बर्फी निजी यात्रा बसों द्वारा लाई जाती है। सुबह पहुंचने वाली ये ट्रेनें शहर के अलग-अलग हिस्सों में आती हैं, वहां से मिठाई विक्रेता अपनी गाड़ियों से खोवा लाते हैं। नाशिक में ‘स्पेशल बर्फी’ करीब पांच सौ रुपए प्रति किलो की दर से उपलब्ध है। 

    गुजरात की ‘स्पेशल बर्फी’ पैकिंग में उपलब्ध है

    मिठाई बनाने के कारखानों में खोवा बनाने के लिए समय, ईंधन और प्रचुर मात्रा में दूध की आपूर्ति की आवश्यकता होती है। हालांकि, गुजरात के खोवा को इनमें से किसी भी चीज की जरूरत नहीं है, इसके उलट यह नाशिक में उत्पादित खोवा की आधी कीमत पर उपलब्ध है। इससे भारी मुनाफा मिठाई दुकानदार कमा रहे हैं। गुजरात की ‘स्पेशल बर्फी’ पैकिंग में उपलब्ध है। इन बर्फी उत्पादकों को सीधे केंद्र सरकार की ओर से लाइसेंस दिया जाता है, इसलिए महाराष्ट्र या गुजरात राज्यों के खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) की ओर से इसकी गुणवत्ता की जांच नहीं की जाती है, इसलिए यह ‘खास बर्फी’ फ्री में बिक रही है। 

    ‘स्पेशल बर्फी’ क्या है?

    विशेष बर्फी के नाम से जाना जाने वाला खोवा, दूध और वनस्पति तेल के मिश्रण से तैयार किया जाता है। शहर के मिठाइयों से यह खोवा मिलने के बाद इसमें एसेंस डालकर और आकार देकर मिठाइयां बनाई जाती हैं। वर्तमान में दूध 70 से 80 रुपए प्रति लीटर है। एक किलो खोवा बनाने के लिए करीब सात लीटर दूध की जरूरत होती है।

    गुजरात का खोवा एक सौ से दो सौ रुपए प्रति किलो

    असली शुद्ध खावा की कीमत 400 से 600 रुपए प्रति किलो के बीच होती है। हालांकि गुजरात का खोवा एक सौ से दो सौ रुपए प्रति किलो के भाव पर ही मिल रहा है। एक तस्वीर में देखा गया है कि ‘स्पेशल बर्फी’ खरीदना कई मिठाई बेचने वाले पसंद कर रहे हैं। नकली बेसन से बनी मिठाई खाने से पेट के रोग होते हैं।  इस मिठाई से सेवन से अपचन, दस्त, उल्टी और सिरदर्द भी हो सकता है। नकली तराजू के निर्माण में भी रसायनों का उपयोग किया जाता है। ज्यादा केमिकल का सेवन करना डायबिटीज के लिए हानिकारक होता है।