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    नाशिक : आगामी नाशिक महानगरपालिका चुनाव (Nashik Municipal Election) कार्यक्रम कुछ माह के बाद घोषित होगा। महानगरपालिका (Municipal Corporation) में सत्ता होने वाले बीजेपी (BJP) और विपक्ष के रूप में कार्यरत शिवसेना (Shiv Sena) के पास दिग्गज उम्मीदवार है। जहां पर दिग्गज उम्मीदवार नहीं है, वहां पर अन्य पार्टी के दिग्गजों को अपने पार्टी में लाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इसके चलते दोनों पार्टी में बगावत होना तय है, जिसे यह दोनों राजनीतिक दल कैसे निपटते है ? इस ओर सभी की निगाहें लगी हुई है।

    गौरतलब है कि नाशिक महानगरपालिका चुनाव के लिए राज्य चुनाव आयोग ने प्रभाग रचना तैयार करने के आदेश महानगरपालिका प्रशासन को दिए। इसके बाद महानगरपालिका प्रशासन ने प्रभाग रचना तैयार कर राज्य चुनाव आयोग को रिपोर्ट पेश की। इसके बाद कच्ची प्रभाग रचना घोषित करते हुए आक्षेप दर्ज करने के लिए समय दिया गया। आक्षेप भी दर्ज हुए। उस पर सुनवाई भी होने वाली थी, लेकिन ओबीसी और मराठा आरक्षण को लेकर समस्या खड़ी हो गई।

    राज्य सरकार ने यह मुद्दा हल करने के लिए विधिमंडल में कानून बनाकर राज्य चुनाव आयोग के सभी अधिकार अपने पास लेते हुए प्रभाग रचना रद्द कर दी। इसके बाद चुनाव की तैयारी रूक गई। दूसरे चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी के 4 नगरसेवकों ने पार्टी को बाय बाय करते हुए शिवसेना में प्रवेश किया।

    दलबदलुओं ने अपनी गतिविधियां रोक दी

    चुनाव देरी से होने की बात स्पष्ट होते ही दलबदलुओं ने अपनी गतिविधियां रोक दी है। शिवसेना में भी ऐसी ही स्थिति है। पूर्व महापौर विनायक पांडे और अजय बोरस्ते में शुरू विवाद से सभी परिचित है। राज्य में शिवसेना का मुख्यमंत्री होने से कोई भी पार्टी के खिलाफ भूमिका नहीं ले रहा है। लेकिन अंर्तगत विवाद चरम पर है, जिसका विपरित परिणाम चुनाव में बगावत के रूप में दिखाई देगा। टिकट वितरण के बाद अंतर्गत विवाद तेज होगा। क्योंकि भाजपा में विधायक सीमा हिरे की पुत्री रश्मी चुनाव के लिए इच्छुक है। उनके देवर योगेश यह नगरसेवक थे। विधायक देवयानी फरांदे का पुत्र अजिंक्य फरांदे को प्रभाग क्रमांक 9 से टिकट चाहिए। प्रदेश पदाधिकारी लक्ष्मण सावजी की पुत्री पूर्वा सावजी, महापौर सतीश कुलकर्णी के पुत्र वैभव और पुत्री संध्या, प्रदेश पदाधिकारी विजय साने का पुत्र अजिंक्य टिकट के लिए इच्छुक है। फिलहाल वह स्वीकृत नगरसेवक है। स्थाई  समिति सभापति गणेश गिते की पत्नी दीपाली, पूर्व सभागृह नेता सतीश सोनवणे का पुत्र अनिकेत, पूर्व विधायक बालासाहब सानप का पुत्र मच्छिंद और बहू को भी टिकट की अपेक्षा है। शिवसेना के महानगरप्रमुख सुधाकर बडगुजर की पत्नी हर्षा, पुत्र दीपक और खुद बडगुजर टिकट के लिए इच्छुक है। विपक्ष नेता अजय बोरस्ते के भतीजे आदित्य भी टिकट के लिए इच्छुक है। पूर्व महापौर विनायक पांडे के पुत्र ऋतुराज, भतीजी शिवानी को भी टिकट की अपेक्षा है। वरिष्ठ नगरसेविका कल्पना चुंभले, उनका पुत्र प्रताप, देवर कैलास को भी टिकट की आस है।

    अंधेरे में है कार्यकर्ताओं का भविष्य ?

    बीजेपी और शिवसेना में दिग्गजों के रिश्तेदारों को पहले टिकट का वितरण होने से कार्यकर्ताओं का भविष्य अंधेर में होने की चर्चा शुरू हो गई है। पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को टिकट देने पर स्थानीय नेता मदद करेंगे या नहीं? यह कहा नहीं जा सकता। कुल मिलाकर दोनों राजनीतिक दलों को महानगरपालिका चुनाव में बगावत का सामना करना होगा। यह अब तय हो गया है।