
नागपुर. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) को जान से मारने की धमकी देने के मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के बाद अब लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की भी एंट्री हो गई है। कर्नाटक में लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करने वाला बशीरुद्दीन नूर अहमद उर्फ अफसर पाशा इसके पीछे का असली मास्टरमाइंड है। उस पर ढाका और बेंगलुरु बम ब्लास्ट समेत जम्मू-कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा के लिए आतंकवादियों की भर्ती करने का आरोप है।
नागपुर लाया गया अफसर पाशा
अफसर पाशा को पुलिस ने बेलगांवी जेल से गिरफ्तार कर नागपुर लाया है। गडकरी को धमकी देने के मामले में जयेश कांथा उर्फ पुजारी उर्फ शाकिर की गिरफ्तारी हो चुकी है। उससे पूछताछ करने पर पाशा का नाम सामने आया था। इस बीच एनआईए ने पाशा के खिलाफ मुंबई में यूएपीए एक्ट के तहत 2 अलग-अलग मामले दर्ज कर कोर्ट से जांच के अधिकार मांगे हैं। पहले ही एनआईए ने मामले की जांच करने के लिए कोर्ट से अनुमति मांगी थी लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। नागपुर पुलिस ने कांथा सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने के लिए कोर्ट से समय लिया है।
NIA को सौंपी जा सकती है पाशा की कस्टडी
एनआईए ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय से पाशा के खिलाफ यूएपीए के 2 मामले दर्ज करने की अनुमति ली। नागपुर सत्र न्यायालय में यूएपीए की विशेष अदालत में प्रकरण से जुड़े सभी दस्तावेज और आरोपी को कस्टडी में देने की अनुमति मांगी गई। न्यायालय ने इस पर नागपुर पुलिस का जवाब मांगा। पुलिस ने कोई आपत्ति न होने का जवाब दायर किया। अब उसकी कस्टडी एनआईए को सौंपने पर सोमवार को निर्णय हो सकता है।
नागपुर पुलिस करेंगी जांच
नागपुर के सीपी अमितेश कुमार ने बताया कि धंतोली में दर्ज 2 मामलों में पाशा की गिरफ्तारी की गई है। इसके लिए एक टीम 2 दिनों से बेलगांवी में थी। शनिवार को उसे गिरफ्तार कर विमान से नागपुर लाया गया। मेडिकल जांच के बाद उसे कोर्ट में पेश कर 5 दिन की पुलिस कस्टडी मांगी जा रही है। जब तक एनआईए को केस ट्रांसफर नहीं होता तब तक नागपुर पुलिस अपनी जांच करेगी। जानकारी मिली है कि पाशा जेल में रहकर देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। इसीलिए आतंकी एंगल से प्रकरण की जांच करने के लिए एनआईए पाशा से पूछताछ करना चाहती है।
कौन है अफसर पाशा?
बशीरुद्दीन नूर अहमद का आपराधिक नाम अफसर पाशा है। वह कर्नाटक के चिक्काबल्लापुरा का रहने वाला है। अफसर पाशा कर्नाटक में पीएफआई के साथ मिलकर लश्कर-ए-तैयबा का काम संभाल रहा था। उस पर 2003 ढाका बम ब्लास्ट, 2005 बेंगलुरु बम ब्लास्ट समेत जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के लिए काम करने का आरोप है। पाशा 2006 से गिरफ्तार हैं और 2014 से बेलगांवी जेल में है।
जेल से आतंकी मॉड्यूल चला रहा था पाशा
पाशा जेल के भीतर से ही अपना आतंकी मॉड्यूल चला रहा था। तभी वह बेलगाम जेल से जयेश पुजारी के संपर्क में आया। उसने जयेश का इस्तेमाल न सिर्फ नितिन गडकरी को धमकाने के लिए किया, बल्कि अपना आतंकी नेटवर्क चलाने के लिए भी किया। जयेश को जेल में मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवा लगातार उपलब्ध थी। जयेश को यह सेवा मुहैया कराने की जिम्मेदारी पाशा की थी। बताया जा रहा है कि पाशा के संगठन ने जयेश को जेल में सभी सेवाएं मुहैया कराने के लिए एक साल में 18 लाख रुपये खर्च किए। फोन और अन्य सेवाओं के बदले पाशा जयेश से कई जगहों पर फोन कराता था। जांच में पता चला कि जयेश ने जेल से ही पाकिस्तान, अमेरिका, सूडान, नाइजीरिया और पोलैंड समेत भारत में कई जगहों से फोन कॉल किए। पुलिस को शक है कि पाशा ने ही फोन किया था।
गडकरी से मांगी गई थी करोड़ों रुपये की फिरौती
गौरतलब है कि नितिन गडकरी के नागपुर स्थित जनसंपर्क कार्यालय में 4 जनवरी और 21 मार्च को धमकी भरे कॉल आए और करोड़ों रुपये की फिरौती मांगी गई थी। जांच में पता चला कि बेलगांवी जेल से धमकी भरे फोन आए थे। इसके बाद नागपुर पुलिस ने जयेश पुजारी उर्फ शाकिर को बेलगांवी जेल से गिरफ्तार कर 28 मार्च को नागपुर ले आई। उसने ने शुरुआत में नागपुर पुलिस को गुमराह किया। हालांकि, बाद में उसके द्वारा दी गई जानकारी में सामने आया कि धमकी भरे कॉल का मास्टरमाइंड पाशा है।