PCMC में ओबीसी आरक्षण रद्द होने से 114 सीटें हुई ‘ओपन’

    Loading

    पिंपरी: ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) पर पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया है। इसलिए यदि अगला महानगरपालिका चुनाव (Municipal Elections) बिना ओबीसी आरक्षण के होता है तो पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) की 114 सीटों के लिए ओपन कैटेगरी में चुनाव होगा। 38 लोगों को पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वर्ग में लड़ने के अवसर से वंचित कर दिया गया है। ओबीसी आरक्षण को नकारने का सबसे बड़ा झटका माली और कुनबी समुदाय को लगा है क्योंकि पिछले चुनाव में ओबीसी वर्ग से 35 लोग चुने गए थे। इनमें ज्यादातर बीजेपी नगरसेवक (‍BJP Corporator) हैं।

    पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका के आगामी आम चुनाव में 46 वार्ड और 139 नगरसेवक होंगे। 139 नगरसेवकों में से 69 पुरुष और 70 महिलाएं होंगी। 139 नगरसेवकों में से 3 सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) और 22 सीटें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित होंगी। ओबीसी आरक्षण मिलता तो 38 सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित होती। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी समुदाय की आरक्षण रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। नतीजतन, 38 लोगों ने ओबीसी वर्ग में लड़ने का मौका गंवा दिया है। इसलिए ओपन कैटेगरी की सीटें अब 114 हो गई हैं। 

    2017 में ओबीसी की 35 सीटें आरक्षित थी

    2017 में हुए पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका के आम चुनाव में ओबीसी की 35 सीटें आरक्षित थी। इसमें बीजेपी की ओर से स्वीनल म्हेत्रे, अश्विनी जाधव, नितीन कालजे, सारिका लांडगे, संतोष लोंढे, नम्रता लोंढे, केशव घोलवे, योगिता नागरगोजे, उत्तम केंदले, नामदेव ढाके, संदीप वाघेरे, तुषार कामठे, सविता खुले, शशिकांत कदम, आशा धायगुडे, माधवी राजापुरे, शारदा सोनवणे, सुवर्णा बुर्डे, हिरानानी घुले, सागर गवली, सुरेश भोईर, जयश्री गावडे, शत्रुघ्न काटे, दिवंगत अर्चना बारणे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राहुल भोसले, राजू मिसाल, प्रज्ञा खानोलकर, अपर्णा डोके, शाम लांडे, विनोद नढे, प्रवीण भालेकर, पोर्णिमा सोनवणे, दिवंगत जावेद शेख, शिवसेना की  रेखा दर्शले और निर्दलीय झामाबाई बारणे का समावेश था। 

    आमने-सामने आ सकते हैं कई मौजूदा नगरसेवक 

    पिछले चुनाव में ओबीसी कोटे से सबसे ज्यादा माली और कुनबी समुदाय के नगरसेवक चुने गए। चूंकि इस बार ओबीसी आरक्षण रद्द हो गया है अतः इन सभी नगरसेवकों को ओपन कैटेगरी से चुनाव लड़ने के अलावा कोई चारा नहीं रहा है। शहर के कुछ हिस्सों में कुनबी और माली समुदाय प्रबल हैं। इसलिए उन्हें ओपन कैटेगरी से चुनाव लड़ने में किसी तरह की परेशानी होने की संभावना नहीं है लेकिन उन्हें निर्वाचित होने के लिए अधिक मेहनत करनी होगी।  हालांकि, जो अन्य श्रेणियों से चुने गए हैं, उन्हें कठिनाई हो सकती है। उनके लिए स्थानीय अंकगणित, रिश्तेदारी और धन-सम्पत्ति से आगे निकल पाना लगभग असंभव है। इसलिए ओबीसी आरक्षण का असर सबसे ज्यादा कुनबी, माली समुदाय को महसूस होगा। ओबीसी आरक्षण नहीं होने के कारण ओपन कैटेगरी से 114 सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा। ऐसे में कई मौजूदा नगरसेवक आमने-सामने आ सकते हैं। पहले रिश्तेदारों को आमने-सामने आने से रोका जाता था। एक ओपन कैटेगरी में और दूसरा ओबीसी में लड़ रहा था। इसलिए आमने सामने नहीं आ रहा था। अब जब ओबीसी आरक्षण नहीं है, कई मौजूदा नगरसेवक चुनाव में आमने-सामने आ सकते हैं।