bjp-ncp flag

    Loading

    पिंपरी: पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका प्रशासन (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation Administration) के माध्यम से भामा-आसखेड़ बांध (Bhama-Askhed Dam) से पानी प्राप्त करने के लिए ‘जैक वेल’ के निर्माण के लिए एक टेंडर प्रक्रिया आयोजित की गई थी। टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के शहर अध्यक्ष अजीत गव्हाने के नेतृत्व में स्थानीय नेताओं ने जलापूर्ति विभाग के सह शहर अभियंता को घेराव किया। साथ ही यह आरोप लगाया कि इस भ्रष्टाचार में बीजेपी नेता शामिल हैं। इस पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता एकनाथ पवार ने पलटवार करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर इस महत्वपूर्ण योजना को विसर्जित करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।

    राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के घेराव आंदोलन के बाद बीजेपी प्रवक्ता पवार ने एक बयान जारी कर पिंपरी-चिंचवाडकरों के जायज पानी को रोकने वाली एनसीपी की गलत नीति के चलते पवना बांध पाइपलाइन प्रोजेक्ट के लिए खून बहाया गया। 

    …तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा

    पवार ने कहा कि फिर भी शहर को एक बूंद पानी नहीं मिला। भामा-आसखेड़ परियोजना का पानी प्राप्त करने के लिए शुरू किए जा रहे जेकवेल के काम को बिगाड़ने का पाप अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी कर रही है। भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर बीजेपी नेताओं को बदनाम किया जा रहा है। बीजेपी नेता ने चुनौती दी है कि अगर इस काम में भ्रष्टाचार साबित हो गया कि बीजेपी नेता संलिप्त हैं तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे।

     प्रशासन ने 17 करोड़ रुपए बचाए

    एकनाथ पवार ने कहा कि जैकवेल के काम का टेंडर 2021 में जारी किया गया था। जवाब नहीं मिलने पर टेंडर की मियाद को दो बार बढ़ाया गया। दो कंपनियों ने भरा टेंडर, इनमें से एक को अयोग्य घोषित कर दिया गया। टेंडर स्वीकृति राशि से अधिक रेट पर टेंडर देने वाली ठेकेदार कंपनी को प्रशासन ने दो पत्र भेजकर रेट कम करने की सलाह दी है। तदनुसार, कंपनी ने 17 करोड़ रुपए कम करने का निर्णय लिया। प्रशासन ने पिंपरी-चिंचवडकरों के टैक्स खर्च से 17 करोड़ रुपए बचाए। उम्मीद की जा रही थी कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता इस पर प्रशासन को बधाई देंगे। हालांकि, ऐसा न करते हुए वे टेंडर प्रक्रिया को ही रद्द करने की मांग कर परियोजना को बाधित कर पिंपरी-चिंचवड के लोगों के जलापूर्ति बंद करने का प्रयास कर रहे हैं।

    एनसीपी पानी जैसी परियोजना में रोड़ा डाल रही

    दरअसल, महाविकास आघाड़ी और अपनी मर्जी के आयुक्तों के शासन के दौरान, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेता शहर के विकास के मामले में एक भी बड़ी परियोजना को लागू नहीं कर सके। उल्टे बीजेपी के दौर में लागू परियोजनाओं के फंड कम करने, टेंडर कैंसिल करने या उनका काम बंद करने जैसे षड्यंत्र हुए। अब राज्य में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन सत्ता में है। इसकी मदद से लोगों की उम्मीदों और महाविकास आघाड़ी के दौर के रुके हुए सकारात्मक प्रोजेक्ट पटरी पर आ रहे हैं। इससे पिंपरी-चिंचवडकरों को दूर-दूर तक फायदा होगा। इसलिए आगामी चुनाव में बीजेपी महाविकास आघाड़ी को नुकसान हो रहा है। इससे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नाराज होकर गलत और झूठे आरोपों के जरिए पानी जैसी परियोजना में रोड़ा डाल रही है।

    अयोग्य ठेकेदार को काम देने की कोशिश?

    भामा-आसखेड़ जल योजना के तहत ‘जैकवेल’ के काम के लिए दो कंपनियों ने टेंडर जमा किए। यह बताया जा रहा है कि महाविकास आघाड़ी के दौरान मुंबई और पुणे में करोड़ों रुपए के काम योग्य निविदाकर्ता कंपनी को दिए गए थे। संबंधित कंपनी पर आपत्ति जताने वाले एनसीपी के स्थानीय नेताओं को उम्मीद थी कि दूसरी कंपनी को काम मिल जाएगा।  एकनाथ पवार ने आरोप लगाते हुए कहा कि टेंडर होने के तीन महीने बाद ही एनसीपी नेताओं की नींद टूट गई। यह एक तरह से प्रशासन पर दबाव बनाकर ठेकेदार कंपनी पर दबाव बनाने का तरीका है। एनसीपी के कारोबारी नेता उन लोगों में शामिल थे, जो महानगरपालिका भवन पहुंचे और संबंधित अधिकारियों का घेराव किया। अगर इन कारोबारी नेताओं ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया होता तो और प्रतिस्पर्धा होती। अब तीन महीने बाद ‘उन’ नेताओं को प्रशासनिक प्रक्रिया पता चलनी चाहिए। 25 साल से सत्ता पर काबिज एनसीपी ने पवना जलवाहिनी प्रोजेक्ट पर पानी डाला। अब एनसीपी के नेताओं की मानसिकता भामा-आसखेड़ परियोजना को ‘विसर्जित’ करने की है।