File Photo
File Photo

    Loading

    पुणे: पुणे महानगरपालिका (Pune Municipal Corporation) में नए से समाविष्ठ 23 गांवों (Villages) में पीएमआरडीए (PMRDA) द्वारा निर्माण कार्य की अनुमति दिए हुए सोसाइटियों (Societies) को महानगरपालिका टैंकर (Tanker) से जलापूर्ति (Water Supply) नहीं करेगी। यह निर्माण करते समय संबंधित बिल्डरों ने सोसाइटियों को जलापूर्ति की जिम्मेदारी स्वीकार की थी। इसके चलते 23 नए गांवों के सैकड़ों सोसाइटियों को तत्काल निर्माण व्यवसायिकों को खुद के खर्चे  पर लोगों की प्यास बुझानी होगी।

    एक साल पहले पुणे महानगरपालिका में 23 नए गांवों को शामिल किया गया है। महानगरपालिका की सीमा के आस-पास के गांवों को पहले ग्राम पंचायत और सरकारी योजना के तहत जलापूर्ति की जाती थी। महानगरपालिका की सीमा से पांच किमी के दायरे में आनेवाले गांवों को महानगरपालिका की ओर से जलापूर्ति की जाती थी। लेकिन पांच साल पहले पीएमआरडीए की स्थापना की गई। इन गांवों में अब पीएमआरडीए द्वारा निर्माणकार्यों को अनुमति दी जाने लगी।  

    जलापूर्ति करने की जिम्मेदारी बिल्डरों की 

    महानगरपालिका में इन नए गांवों के समावेश के पहले से ही महानगरपालिका कमिश्नर द्वारा भी इन निर्माण कार्यों को अनुमति दी गई है। पीएमआरडीए द्वारा भी इन गांवों में हजार से ज्यादा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। विशेष तौर पर निर्माण कार्यों को अनुमति देते समय संबंधित सोसाइटियों को जलापूर्ति करने की जिम्मेदारी संबंधित बिल्डरों की रहेगी। ऐसी सहमति बनी थी।

    कम कीमत के चलते सोसाइटियों के प्रमाण बढ़े

    कम कीमत में घरों क सपना पूरा होने के कारण इन गांवों में हजारों की संख्या में नई सोसाइटियां बन गईं। इन सोसाइटियों को जलापूर्ति करना ग्राम पंचायत के लिए संभव नहीं था। इसके कारण कुछ सोसाइटियों को जलापूर्ति के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। कई सोसाइटियों कों टैंकर से पानी जलापूर्ति की जाती है, लेकिन आगामी महानगरपालिका चुनाव को देखते हुए इच्छिकों ने महानगरपालिका द्वारा जलापूर्ति के लिए जोरदार प्रयास शुरू किया है। महानगरपालिका द्वारा स्पष्ट किया गया है कि फिलहाल बिल्डरों को ही सोसाइटियों में जलापूर्ति करनी होगी। पर गावठांन में जलापूर्ति की जिम्मेदारी महानगरपालिका ने ली है।

    अंतिम छोर पर होने से दिक्कत

    पीएमआरडीए ने सुस, म्हालुंगे, लोहगांव, वाघोली, पिसोली, उंड्री, आंबेगांव खुर्द, धायरी, उत्तमनगर, शिवणे आदि गांवों में पिछले पांच वर्षों में एक हजार से अधिक निर्माणों को मंजूरी दी है। इनमें से सुस, म्हालुंगे, लोहगांव और वाघोली में सबसे ज्यादा स्किम हैं। चूंकि ये गांव पुणे शहर की जलापूर्ति प्रणाली के अंतिम छोर पर हैं, इसलिए कम दाब और थोड़े समय के लिए जलापूर्ति की जा रही है।

    एक साल पहले 23 गांवों को महानगरपालिका में शामिल किया गया है। इन गांवों को पहले से ही ग्राम पंचायतों के जरिए जलापूर्ति की जा रही है। कहीं-कहीं महानगरपालिका के माध्यम से पानी की टंकियां बनाकर जलापूर्ति की जा रही है। वहीं 24 घंटे जलापूर्ति योजना को इन गांवों में लागू करने के लिए सलाहकार नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस योजना को जल्द शुरू करने के लिए महानगरपालिका प्रयास कर रहा है।

    -अनिरुद्ध पावस्कर, अधीक्षक अभियंता, पुणे महानगरपालिका