पुणे: पुणे मेट्रो (Pune Metro) परियोजना को लागू करने वाला महामेट्रो (Maha Metro) को उम्मीद है कि अगले साल जनवरी या फरवरी में पिंपरी (Pimpri) में पीसीएमसी मुख्यालय से मेट्रो सेवा की पहली यात्रा को हरी झंडी दिखा दी जाएगी। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में महामेट्रो के अधिकारियों ने कहा कि पिंपरी और फुगेवाड़ी (Fugewadi) में पीसीएमसी मुख्यालय के बीच का काम अगले दो महीनों में पूरा हो जाएगा, जिसके बाद वे शहर की पहली मेट्रो ट्रेन (First Metro Train) को दैनिक आधार पर चलाने की योजना बना रहे हैं।
मेट्रो के प्रवक्ता हेमंत सोनवणे ने कहा कि पिंपरी और फुगेवाड़ी के बीच पांच स्टेशन हैं। दो स्टेशनों पर काम पूरा हो गया है। शेष अगले दो माह में पूरा कर लिया जायेगा। अभी तक सेवा शुरू करने की तारीख तय नहीं की गयी है, लेकिन दो महीने बाद, मेट्रो सेवा शुरू करने की योजना बन रही है।
पुणे मेट्रो का 65% काम लगभग पूरा
पुणे मेट्रो में दो कॉरिडोर में फैले 30 स्टेशन शामिल हैं जिसकी कुल लम्बाई लगभग 33.1किमी हैं। पीसीएमसी से स्वारगेट कॉरिडोर तक 17. 4 किमी लाइन 1 में शिवाजी नगर से स्वारगेट तक 6 किमी भूमिगत है। 15. 4 किमी लाइन 2 को वनाज़ से रामवाड़ी तक बढ़ाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि पुणे मेट्रो का काम जोरों पर चल रहा है। पुणे मेट्रो का 65% काम लगभग पूरा हो चुका है और जल्द ही यात्रियों के लिए प्राथमिकता वाले खंड चालू हो जाएंगे। ये प्राथमिकता खंड संत तुकाराम नगर से फुगेवाड़ी और वनाज़ से गरवारे कॉलेज हैं। महामेट्रो के कार्यकारी अभियंता अतुल गाडगिल ने कहा कि पूर्ण पुणे मेट्रो परियोजना दिसंबर 2022 तक पूरी हो जाएगी।
रूट-बॉल तकनीक पेड़ों को किया गया ट्रांसप्लांट
पुणे मेट्रो ने अपने स्थापना चरण से पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए विभिन्न हरित पहल की है। सौर ऊर्जा का बड़े पैमाने पर उपयोग, जल संचयन, बायोडायजेस्टर, वृक्षारोपण और हरित इमारत कुछ उल्लेखनीय पहल हैं। अधिकारियों ने कहा कि पुणे मेट्रो ने एक भी पेड़ नहीं काटा है जो मेट्रो संरेखण के रास्ते में आया था। पुणे मेट्रो ने उन पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने के लिए प्रयास किए जो रूट-बॉल तकनीक के माध्यम से ट्रांसप्लांट किए गए। ये पेड़ स्थानीय अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए विभिन्न उद्यानों और परिसरों में पेड़ लगाए गए। पुणे मेट्रो ने अब तक 2261 पेड़ लगाए हैं। इनके अलावा, पुणे मेट्रो ने पुणे शहर और उसके आसपास विभिन्न स्थानों पर 15,000 से अधिक नए पेड़ लगाए हैं। प्रत्यारोपण के बाद 80 प्रतिशत से अधिक पेड़ बच गए हैं।