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    पुणे : मानसून के मौसम में खुदाई के कारण सड़कों (Roads) की खराब स्थिती को देखते हुए पुणे महानगरपालिका प्रशासन (Pune Municipal Administration) ने शहर की सड़कों की मरम्मत की घोषणा तो कर दी है। लेकिन, मानसून खत्म हुए दो महिने के बीत जाने के बाद भी अभी तक काम शुरु नहीं हो सका है। महानगरपालिका ने इन 148 किमी की मरम्मत के लिए टेंडर जारी कर दिए है। लेकिन, असल में इस काम के लिए महानगरपालिका के पास फंड उपलब्ध नहीं है। इसलिए महानगरपालिका के सड़क विभाग द्वारा स्थायी समिती में इस कार्य के लिएऐ 50 करोड़ की धनराशि के वर्गीकरण का प्रस्ताव दिया है। उसके साथ अगले वर्ष के बजट में 72 बी के तहत 143 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जायेंगे। इसके कारण अगले साल भी सड़क मरम्मत का भार महानगरपालिका के खजाने पर पड़ेगा।  

    मानसून के मौसम में सड़कों की खराब स्थिती को देखते हुए महानगरपालिका ने शहर की लगभग 1400 किमी लंबी सड़कों का सर्वेक्षण पूरा कर लिया है।  पहले चरण में लगभग 140 स्थानों पर जहां सड़क क्षतिग्रस्त हो गई है, या सड़क का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है, ऐसे कुल 148 किलोमिटर क्षतीग्रस्त सड़कों की पहचान की गई है। इन 148 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत पर 193 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है। लेकिन, महानगरपालिका प्रशासन के पास इस काम के लिए कोई फंड नहीं है। इसलिए चालू वर्ष 50 करोड़ रुपए वर्गीकरण किए जाएंगे और शेष 143 करोड़ की जिम्मेदारी महानगरपालिका के वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में ली जाएगी। इसके लिए लिए महानगरपालिका प्रशासन द्वारा स्थायी समिति में प्रस्ताव रखा गया है। 

    दोष दायित्व अवधि का नहीं मिल रहा लाभ 

    महानगरपालिका द्वारा पहले चरण में 2023 के मानसून से पहले लगभग 148 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत की जाएगी। इसमें 140 जगहों को मिलाकर पुरानी सड़कों को पूरी तरह से तोड़कर उन जगहों पर नई सड़कों का विकास किया जाएगा। इस कार्य पर कुल 193 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।  दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कई सड़कों का निर्माण महानगरपालिका ने कुछ साल पहले ही किया है और ये दायित्व अवधि में भी है। हालांकि सड़क निर्माण के बाद दोष दायित्व अवधि पूरी होने तक किसी भी कारण से सड़क खोदना नहीं चाहिए था। लेकिन महानगरपालिका ने ,डक निर्माण के बाद छह महिनों में ही सर्विस वाहिन्या के कार्यों के लिए कई सड़कों को खुदवा दिया है। इसलिए, महानगरपालिका को दोष दायित्व अवधि का लाभ नहीं मिल रहा है।